विषयसूची
किशनगंज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भूगोल और संस्कृति
विशेष आकर्षण
किशनगंज जिले की प्रमुख कॉलेज विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान:
कॉलेज:
विश्वविद्यालय:
शिक्षण संस्थान:
1. कृषि और उससे जुड़े उद्योग
2. लघु और कुटीर उद्योग
3. व्यापार और वाणिज्य
4. पशुपालन और डेयरी उद्योग
विशेष:
History of Kishanganj किशनगंज जिला बिहार राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है और और एक छोटा सा जिला है हालांकि इसका इतिहास काफी समृद्ध और रोचक है। यह जिला पहले पूर्णिया जिले का हिस्सा था, लेकिन 14 जनवरी 1990 को इसे एक अलग जिला बनाया गया। यह क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। हालांकि किशनगंज जिले के कई नाम है जिनमे कृष्ण कुंज, ठाकुरगंज और नेपाल गढ़ के नाम से भी जाना जाता था।
History of Kishanganj: किशनगंज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
प्राचीन काल
किशनगंज का क्षेत्र प्राचीन काल में अंग महाजनपद और मिथिला क्षेत्र का हिस्सा रहा है। यह सिल्क रूट का एक महत्वपूर्ण मार्ग था, जिससे व्यापारिक गतिविधियाँ होती थीं।
मुगल एवं ब्रिटिश शासन
मुगल काल में यह क्षेत्र बंगाल के सूबेदारों के नियंत्रण में था। मुगलों ने जब किशनगंज पर कब्जा किया तो इसका नाम आलमगंज रखा था।
- 18वीं शताब्दी में इसे बंगाल के नवाबों ने नियंत्रित किया।
- 1770 के दशक में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का इस पर नियंत्रण हो गया, और यह पूर्णिया जिले का एक हिस्सा बन गया।
- स्वतंत्रता संग्राम और आधुनिक काल:
- किशनगंज स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी सक्रिय रहा।
- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, यह पूर्णिया जिले का उपखंड बना रहा।
- 1990 में इसे एक अलग जिला घोषित किया गया।
भूगोल और संस्कृति
- किशनगंज नेपाल और पश्चिम बंगाल की सीमाओं से लगा हुआ है, जिससे यहाँ बंगाली, हिंदी, उर्दू, और मैथिली भाषाओं का मिश्रण देखने को मिलता है।
- यहाँ मुस्लिम, हिंदू और अन्य समुदायों की मिली-जुली संस्कृति देखने को मिलती है।
- यह क्षेत्र चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है, और बिहार का एकमात्र चाय उत्पादक जिला भी है।
Tourist Place of Kishanganj (History of Kishanganj)
किशनगंज जिला, बिहार का एक प्रमुख क्षेत्र है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं-
नेहरू शांति पार्क (Nehru Shanti Park) Kishanganj)

किशनगंज रेलवे स्टेशन से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह पार्क विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों और बच्चों के खेलने के लिए झूलों से सुसज्जित है। शांत वातावरण के कारण यह परिवारों के लिए एक आदर्श स्थान है।
हरदोई मंदिर (Hardoi Temple) Kishanganj

ठाकुरगंज प्रखंड में स्थित यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि इसकी स्थापना टैगोर रियासत के जमींदारों द्वारा की गई थी। सावन और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
चाय बागान (tea garden) Kishanganj
ठाकुरगंज क्षेत्र में विस्तृत चाय के बागान हैं, जो लगभग 25,000 हेक्टेयर में फैले हुए हैं। यहाँ की हरियाली और चाय की खेती का दृश्य दार्जिलिंग की याद दिलाता है।
महानंदा नदी (Mahananda River) Kishanganj

किशनगंज बस स्टैंड से लगभग 6 किलोमीटर दूर रमजान पुल के पास बहने वाली यह नदी प्राकृतिक सौंदर्य का उत्कृष्ट उदाहरण है।
कछुदाह झील (Kachudah Lake) Kishanganj

किशनगंज से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह प्राकृतिक झील सैकड़ों प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल है। नववर्ष के अवसर पर यहाँ स्थानीय पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जाती है।
खगड़ा मेला (Khagra Fair) Kishanganj

हर वर्ष जनवरी-फरवरी में आयोजित होने वाला यह मेला कृषि प्रदर्शनी के रूप में शुरू हुआ था और अब यह एक प्रमुख सांस्कृतिक आयोजन बन चुका है, जहाँ देशभर से व्यापारी और पर्यटक शामिल होते हैं।
Badi Kali Temple Kishanganj

यह भी प्रमुख धार्मिक स्थल है जहां कृष्ण और माता काली की पूजा होती है।
किशनगंज जिले की प्रमुख कॉलेज विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान:
कॉलेज
- मारवाड़ी कॉलेज, किशनगंज: 1954 में स्थापित यह कॉलेज 20 स्नातक और डिप्लोमा कोर्स प्रदान करता है।
- आर.के. साहा महिला महाविद्यालय, किशनगंज: 1982 में स्थापित, यह कॉलेज 24 स्नातक कोर्स प्रदान करता है।
- नेहरू महाविद्यालय, बहादुरगंज: 1965 में स्थापित, यह कॉलेज 7 स्नातक कोर्स प्रदान करता है।
- डॉ. अबुल कलाम आज़ाद कृषि महाविद्यालय: 2015 में स्थापित, यह कॉलेज कृषि विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई कराता है।
- अज़मत इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी: 2010 में स्थापित, यह कॉलेज 3 प्रकार के बी.टेक कोर्स प्रदान करता है।
विश्वविद्यालय
- माता गुजरी विश्वविद्यालय: यह निजी विश्वविद्यालय मेडिकल, पैरामेडिकल, नर्सिंग और फार्मेसी की पढ़ाई कराता है।
शिक्षण संस्थान
- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट), किशनगंज: 1958 में स्थापित, यह संस्थान शिक्षक प्रशिक्षण प्रदान करता है।
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) किशनगंज केंद्र: यह केंद्र विभिन्न पाठ्यक्रमों में शिक्षा प्रदान करता है।
1. कृषि और उससे जुड़े उद्योग
- चाय उद्योग: किशनगंज बिहार का एकमात्र जिला है जहाँ बड़े पैमाने पर चाय की खेती होती है। यहाँ चाय उत्पादन और उसकी प्रोसेसिंग से जुड़े उद्योग विकसित हो रहे हैं।
- जूट और मशरूम उत्पादन: जूट की खेती के कारण यहाँ छोटे पैमाने पर जूट आधारित उद्योग भी हैं। मशरूम की खेती भी बढ़ रही है।
- धान मिल और खाद्य प्रसंस्करण: चावल मिलें, तेल मिलें और अन्य खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ मौजूद हैं।
2. लघु और कुटीर उद्योग
- हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योग: यहाँ के ग्रामीण इलाकों में बांस, लकड़ी और कपड़ों से जुड़े हस्तशिल्प उद्योग हैं।
- फर्नीचर निर्माण: लकड़ी से जुड़े छोटे स्तर के फर्नीचर निर्माण उद्योग भी हैं।
3. व्यापार और वाणिज्य
- चाय और मसाले का व्यापार: किशनगंज नेपाल और पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित होने के कारण व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र है। यहाँ चाय और मसाले का व्यापार बड़े स्तर पर होता है।
- थोक और खुदरा बाजार: अनाज, कपड़ा, जूते-चप्पल, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सामानों का थोक और खुदरा व्यापार यहाँ अच्छी तरह विकसित है।
4. पशुपालन और डेयरी उद्योग
- दूध और दुग्ध उत्पादों का व्यवसाय: यहाँ डेयरी व्यवसाय भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे दूध और उससे बने उत्पादों की आपूर्ति स्थानीय और बाहरी बाजारों में होती है।
हालांकि किशनगंज में बड़े उद्योगों की संख्या कम है, लेकिन कृषि, व्यापार और लघु उद्योगों के माध्यम से यह आर्थिक रूप से विकसित हो रहा है। बिहार सरकार और केंद्र सरकार यहाँ औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नई योजनाएँ ला रही हैं।
विशेष:
History of Kishanganj किशनगंज ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह न केवल बिहार, बल्कि भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से के लिए भी एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है।
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