विषयसूची
History of Shravasti का प्राचीन इतिहास
मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास
मुख्य आकर्षण
बौद्ध धर्म से जुड़े स्थल
जैन धर्म से जुड़े स्थल
हिंदू धर्म से जुड़े स्थल
अन्य दर्शनीय स्थल
प्रमुख उद्योग धंधे कृषि और खानपान
कुछ अन्य जानकारियां:
History of Shravasti: श्रावस्ती उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला है। इसका उल्लेख प्राचीन बौद्ध और जैन ग्रंथों में मिलता है। इसका प्राचीन नाम श्रावस्ती या श्रावस्ती भी कहा जाता है।
History of Shravasti का प्राचीन इतिहास
- रामायण और महाभारत काल:
- ऐसा माना जाता है कि श्रावस्ती की स्थापना “शत्रुघ्न” ने की थी, जो भगवान राम के भाई थे।
- यह नगर कोसल राज्य की राजधानी था।
- इसका प्राचीन नाम कुणाल नगरी और चंद्रिका पूरी थी।
- बौद्ध धर्म से संबंध:
- श्रावस्ती भगवान बुद्ध की प्रमुख क्रिया स्थली थी।
- उन्होंने अपने जीवन के 24 वर्ष यहीं बिताए और कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए।
- जेतवन विहार और आनंद बोधि वृक्ष यहीं स्थित हैं, जहां बुद्ध ने प्रवचन दिए थे।
- बौद्ध धर्म के महान अनुयायी अनाथपिंडक ने यहाँ जेतवन विहार का निर्माण करवाया था।
- जैन धर्म से संबंध:
- यह स्थान जैन धर्म के तीसरे तीर्थंकर, भगवान संभवनाथ की जन्मस्थली भी माना जाता है।
मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास History of Shravasti
समय के साथ श्रावस्ती का महत्व कम हो गया और यह धीरे-धीरे गुमनामी में चला गया। ब्रिटिश काल में यहाँ पुरातात्विक खुदाई हुई, जिससे इसके प्राचीन गौरव की पुष्टि हुई। वर्तमान में यह एक प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थल है, जहाँ भारत, नेपाल, श्रीलंका, जापान, तिब्बत और कई अन्य देशों के बौद्ध अनुयायी आते हैं। मैं 1997 ईस्वी में बहराइच जिले के विभाजन के बाद श्रावस्ती जिला बना और अपने अस्तित्व में आया।
मुख्य आकर्षण
श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण जिला है, जो बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ है। यहाँ कई प्रमुख तीर्थ स्थल, मंदिर और दर्शनीय स्थान हैं-
बौद्ध धर्म से जुड़े स्थल
जेतवन महाविहार:
- भगवान बुद्ध ने यहाँ अपने जीवन के 24 वर्ष बिताए थे।
- आनंद बोधि वृक्ष और कोषांबी कक्ष यहाँ प्रमुख आकर्षण हैं।
अंगुलिमाल गुफा:
- यह गुफा प्रसिद्ध डाकू अंगुलिमाल से जुड़ी हुई है, जिसे बुद्ध ने अपने धर्म में परिवर्तित किया था।
आनंद बोधि वृक्ष
- यह उसी स्थान पर स्थित है जहाँ बुद्ध के प्रधान शिष्य आनंद ने एक पवित्र पीपल का वृक्ष रोपा था।
जैन धर्म से जुड़े स्थल
श्रावस्ती जैन तीर्थ क्षेत्र
- यह स्थल जैन धर्म के तीसरे तीर्थंकर भगवान संभवनाथ के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है।
भगवान संभवनाथ मंदिर
- यहाँ भगवान संभवनाथ की 31 फीट ऊँची प्रतिमा स्थित है।
हिंदू धर्म से जुड़े स्थल
सोमनाथ मंदिर

- यह शिव मंदिर धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
अन्य दर्शनीय स्थल
ओराजहार स्तूप
- यह स्तूप बौद्ध धर्म से जुड़ा एक पुरातात्विक स्थल है, जो भगवान बुद्ध के जीवन की घटनाओं को दर्शाता है।
महर्षि वाल्मीकि आश्रम
- यह स्थान रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि से जुड़ा हुआ है।
श्रावस्ती धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का स्थान है, जहाँ बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म से जुड़े प्रमुख तीर्थ स्थल हैं।
- जेतवन विहार – भगवान बुद्ध द्वारा उपयोग किए गए कई स्थलों का समूह यहाँ मौजूद है।
- अनाथपिंडक स्तूप – एक समृद्ध व्यापारी द्वारा बनवाया गया बौद्ध स्थल है।
- सहेट-महेठ – श्रावस्ती के प्राचीन अवशेष यहाँ मिलते हैं।
- श्रावस्ती आज भी अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण एक प्रसिद्ध पर्यटन और तीर्थ स्थल बना हुआ है।
प्रमुख उद्योग धंधे कृषि और खानपान
श्रावस्ती जिला, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि, हस्तशिल्प और फर्नीचर उद्योग पर आधारित है–
कृषि:
यहाँ की कृषि विविधता में धान, मक्का, गेहूं, ज्वार, मसूर, मटर, तिलहन, गन्ना और विभिन्न सब्जियाँ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, आम, अमरूद, नींबू, कटहल, पपीता और विशेष रूप से केला जैसे फल भी यहाँ प्रचुर मात्रा में उगाए जाते हैं। ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के तहत, श्रावस्ती में केले की खेती को विशेष प्रोत्साहन दिया गया है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ हो रहा है।
हस्तशिल्प:
श्रावस्ती की थारू जनजाति अपनी विशिष्ट हस्तशिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है। ये कलाकार घास-फूस से डलिया, ढकिया, टोकरी, रस्सी, चटाई आदि वस्तुएँ बनाते हैं। इसके अलावा, कपड़ों पर कढ़ाई का काम भी यहाँ की महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में लोकप्रिय है।
फर्नीचर उद्योग:
जिले में साखू, सागौन, शीशम और जामुन जैसी कीमती लकड़ियों की प्रचुरता के कारण फर्नीचर उद्योग भी विकसित है। यहाँ के कारीगर इन लकड़ियों से कुर्सी, मेज, दरवाजे और चारपाई जैसी वस्तुएँ बनाते हैं, जो अपनी मजबूती और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं। हालांकि, बाजार की सीमित उपलब्धता के कारण इस उद्योग को और विस्तार की आवश्यकता है।
खानपान:
श्रावस्ती का खानपान मुख्यतः यहाँ की कृषि उत्पादों पर आधारित है। धान, गेहूं और मक्का से बने व्यंजन यहाँ के लोगों के आहार का मुख्य हिस्सा हैं। इसके अलावा, स्थानीय सब्जियाँ और फलों का उपयोग भी व्यापक रूप से किया जाता है। हाल के वर्षों में, जैविक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत, जैविक सब्जियों का उत्पादन और उपभोग भी बढ़ा है, जिससे लोगों को स्वास्थ्यवर्धक विकल्प मिल रहे हैं।
इन सभी क्षेत्रों में विकास और प्रोत्साहन से श्रावस्ती जिले की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार और आजीविका के नए अवसर मिल रहे हैं।
कुछ अन्य जानकारियां:
श्रावस्ती जिला उत्तर प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है, जिसकी सीमाएँ उत्तर में नेपाल, पूर्व में बलरामपुर, दक्षिण में गोंडा और पश्चिम में बहराइच जिलों से मिलती हैं।
जनसंख्या घनत्व
2011 की जनगणना के अनुसार, श्रावस्ती जिले का जनसंख्या घनत्व 681 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था।
लिंगानुपात
2011 में, जिले का लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 881 महिलाएँ था।
साक्षरता दर
श्रावस्ती जिले की साक्षरता दर 46.74% थी, जिसमें पुरुष साक्षरता 57.16% और महिला साक्षरता 34.78% थी।
पंचायत व्यवस्था
जिले में प्रशासनिक व्यवस्था इस प्रकार है-
- तहसीलें: 3 (भिनगा, इकौना, जमुनहा)
- विकासखंड (ब्लॉक): 5 (हरिहरपुर रानी, सिरसिया, जमुनहा, इकौना, गिलौला)
- ग्राम पंचायतें: 400
- कुल गाँव: 536
History of Shravasti: श्रावस्ती जिला, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्षेत्र है, जिसका मुख्यालय भिनगा में स्थित है|हाल के दिनों में श्रावस्ती जिले में कई विकास कार्य सामने आए हैं। इन सभी विकास कार्यों से स्पष्ट होता है कि श्रावस्ती जिला निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है, साथ ही चुनौतियों का सामना भी कर रहा है।
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