विषयसूची
प्राचीन इतिहास( Anciant History)
मध्यकालीन इतिहास( Medieval History )
आधुनिक इतिहास ( Modern History)
वर्तमान स्थिति( Current Situation)
प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थल: ( Famous Tourist place )
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के प्रमुख उद्योग और कृषि की जानकारी इस प्रकार है:
प्रमुख उद्योग (Major Industries )
कृषि (Agriculture )
प्रमुख कॉलेज विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान:
History of prayagraj: प्रयागराज का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है और इसे हिंदू धर्म के पवित्रतम स्थलों में से एक माना जाता है। प्रयागराज का पहला का नाम इलाहाबाद था जिसे योगी सरकार ने बदलकर फिर प्रयागराज कर दिया और प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक इसके कई यादगार इतिहास रहे हैं.
प्राचीन इतिहास (Anciant History)
- वैदिक काल: प्रयाग का उल्लेख वेदों, पुराणों और महाकाव्यों में मिलता है। इसे “त्रिवेणी संगम” के लिए जाना जाता है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम होता है।
- रामायण और महाभारत काल: मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान प्रयाग में ऋषि भारद्वाज के आश्रम में विश्राम किया था।
- मौर्य और गुप्त साम्राज्य: मौर्य शासक सम्राट अशोक ने यहां एक स्तंभ स्थापित किया था, जो आज भी किले के अंदर स्थित है। गुप्त काल में यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र बना।
मध्यकालीन इतिहास (Medieval History)
- हर्षवर्धन काल (7वीं शताब्दी): सम्राट हर्षवर्धन ने यहां हर 12 वर्ष पर कुम्भ मेले की परंपरा शुरू की।
- मुगल शासन (16वीं शताब्दी): अकबर ने 1583 में इसका नाम “इलाहाबाद” रखा और यहां एक किला भी बनवाया। यह मुगल साम्राज्य का प्रमुख प्रशासनिक और सैन्य केंद्र रहा।
आधुनिक इतिहास (Modern History)
- ब्रिटिश शासन (19वीं शताब्दी): इलाहाबाद ब्रिटिश शासन के दौरान एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र बन गया।
- 1857 का विद्रोह: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इलाहाबाद क्रांति का प्रमुख केंद्र था।
- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन: इलाहाबाद कांग्रेस के कई अधिवेशनों का स्थल रहा और महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं का कार्यक्षेत्र भी रहा।
- 1947 के बाद: भारत की आजादी के बाद इलाहाबाद एक प्रमुख सांस्कृतिक, शैक्षणिक और राजनीतिक केंद्र बना।
वर्तमान स्थिति (Current Situation)
- 2018 में योगी आदित्यनाथ सरकार ने इसका नाम इलाहाबाद से पुनः “प्रयागराज” कर दिया।
- प्रयागराज कुम्भ मेले के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है, जो हर 12 वर्ष पर आयोजित होता है।
- यह शिक्षा (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), न्याय (इलाहाबाद उच्च न्यायालय) और आध्यात्मिकता का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।
- इस साल 2025 में 14 वर्ष बाद महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया था जिसमें देश विदेश से श्रद्धालु जुटे थे और यह दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र बन गया था।
प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थल (Famous Tourist place)
प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध शहर है। यहां कई प्रमुख दर्शनीय और पर्यटन स्थल हैं जो बेहद खास और इनका अपना अलग इतिहास है।
त्रिवेणी संगम (History of Prayagraj)

यह वह पवित्र स्थान है जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है, और यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इलाहाबाद किला
मुगल सम्राट अकबर द्वारा 1583 में निर्मित यह किला अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। किले के अंदर अक्षयवट वृक्ष और पातालपुरी मंदिर विशेष आकर्षण हैं।
आनंद भवन और स्वराज भवन

नेहरू परिवार का यह ऐतिहासिक निवास स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण केंद्र था। अब इसे संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है, जहां नेहरू परिवार से संबंधित वस्तुएं प्रदर्शित हैं।
खुसरो बाग
यह सुंदर बाग मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां जहांगीर के पुत्र खुसरो मिर्जा, उनकी माँ शाह बेगम और बहन निथार बेगम के मकबरे स्थित हैं।
इलाहाबाद संग्रहालय
चंद्रशेखर आजाद पार्क में स्थित यह संग्रहालय कला, इतिहास और पुरातत्व से संबंधित वस्तुओं का संग्रह प्रस्तुत करता है, जिसमें प्राचीन मूर्तियाँ, पेंटिंग्स और ऐतिहासिक दस्तावेज शामिल हैं।
लेटे हनुमान मंदिर
यह अनोखा मंदिर भगवान हनुमान की लेटी हुई मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जो श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र है।
अल्फ्रेड पार्क (चंद्रशेखर आजाद पार्क)
यह पार्क स्वतंत्रता संग्राम के महानायक चंद्रशेखर आजाद की अंतिम लड़ाई का साक्षी है। यहां उनकी प्रतिमा स्थापित है, जो उनकी वीरता की याद दिलाती है।
मिंटो पार्क (मदन मोहन मालवीय पार्क)
यह पार्क ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जहां 1858 में ब्रिटिश सम्राट की घोषणा हुई थी।
अलोप शंकरी देवी मंदिर
यह मंदिर देवी सती के अलोपित अंग की पूजा के लिए प्रसिद्ध है और शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
श्रृंगवेरपुर धाम
प्रयागराज से लगभग 45 किमी दूर यह स्थान भगवान राम के वनवास के समय का महत्वपूर्ण स्थल है, जहां उन्होंने गंगा नदी पार की थी।
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के प्रमुख उद्योग और कृषि की जानकारी इस प्रकार है:
प्रमुख उद्योग (Major Industries )
- शिक्षा और शोध – प्रयागराज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय, मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) और अन्य प्रमुख शिक्षण संस्थान स्थित हैं।
- प्रिंटिंग और पब्लिशिंग – यहां पुस्तक छपाई और प्रकाशन एक बड़ा उद्योग है।
- हैंडलूम और टेक्सटाइल – सिल्क और कॉटन के वस्त्र उत्पादन के लिए प्रयागराज प्रसिद्ध है।
- कांच और बर्तन उद्योग – यहां कांच और मिट्टी के बर्तन निर्माण का कार्य होता है।
- चर्म (लेदर) उद्योग – चमड़े के जूते, चप्पल और अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं।
- फूड प्रोसेसिंग – अनाज, मसाले, तेल और दूध से संबंधित प्रसंस्करण उद्योग यहां विकसित हुए हैं।
- लकड़ी और फर्नीचर उद्योग – लकड़ी की नक्काशी और फर्नीचर निर्माण का कार्य प्रमुख है।
कृषि (Agriculture )
- धान – खरीफ मौसम में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है।
- गेहूं – रबी मौसम में गेहूं मुख्य फसल है।
- सरसों – रबी मौसम में सरसों का उत्पादन भी होता है।
- मसाले – हल्दी, धनिया और मिर्च की खेती की जाती है।
- फल – अमरूद की खेती के लिए प्रयागराज प्रसिद्ध है।
- सब्जियां – आलू, टमाटर, बैंगन और गोभी की खेती प्रचुर मात्रा में होती है।
- दलहन – अरहर, चना और मसूर जैसी दालों की खेती की जाती है।
प्रमुख कॉलेज विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (University of Allahabad): स्थापित: 23 सितंबर 1887 यह भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है, जिसे ‘पूर्व का ऑक्सफोर्ड’ भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत 11 घटक कॉलेज और 14 हॉस्टल शामिल हैं।
इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय (Allahabad State University): सी.पी.आई. कैंपस, महात्मा गांधी रोड, सिविल लाइन्स, प्रयागराज – 211001 यह राज्य विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रम प्रदान करता है।
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (U.P. Rajarshi Tandon Open University): सेक्टर-F, शांतिपुरम, फाफामऊ, प्रयागराज, यह विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उच्च शिक्षा प्रदान करता है।
गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान (G.B. Pant Social Science Institute): बनारस रोड, शास्त्रीपुर ब्रिज के निकट, झूसी, प्रयागराज, यह संस्थान सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद (Indian Institute of Information Technology, Allahabad): देवघाट झलवा, प्रयागराज यह संस्थान सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए जाना जाता है।
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Motilal Nehru National Institute of Technology): यह संस्थान इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्रदान करता है।
हरीश-चंद्र अनुसंधान संस्थान (Harish-Chandra Research Institute): यह संस्थान गणित और सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध है।
सी.एम.पी. डिग्री कॉलेज (C.M.P. Degree College):
यह कॉलेज कला, विज्ञान, वाणिज्य और कानून में स्नातक शिक्षा प्रदान करता है।
इविंग क्रिश्चियन कॉलेज (Ewing Christian College): यह कॉलेज इलाहाबाद विश्वविद्यालय का एक स्वायत्त घटक है और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए जाना जाता है।
आर्य कन्या डिग्री कॉलेज (Arya Kanya Degree College): यह कॉलेज इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध है और महिला शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
जगत तरण गर्ल्स डिग्री कॉलेज (Jagat Taran Girls’ Degree College): यह कॉलेज महिला शिक्षा के लिए समर्पित है और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध है।
एस.एस. खन्ना गर्ल्स डिग्री कॉलेज (S.S. Khanna Girls’ Degree College): यह भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध एक प्रमुख महिला कॉलेज है।
इन संस्थानों के अलावा, प्रयागराज मंडल में 38 नए महाविद्यालय खुलने की योजना है, जो उच्च शिक्षा के विस्तार में सहायक होंगे। प्रयागराज का यह शैक्षणिक वातावरण छात्रों को विविध शैक्षणिक अवसर प्रदान करता है, जिससे वे अपने करियर को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकते हैं।
प्रयागराज की कुल जनसंख्या
History of prayagraj: 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की जनसंख्या 59,54,390 थी। जिले का जनसंख्या घनत्व 1,086 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। प्रयागराज में प्रति 1,000 पुरुषों पर 901 महिलाओं का लिंगानुपात था, और साक्षरता दर 72.3% थी।
विशेष:
History of prayagraj: प्रयागराज का इतिहास भारतीय संस्कृति, धर्म और राजनीति से गहराई से जुड़ा हुआ हैँ और इसका इतिहास धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से भारत के इतिहास में विशेष स्थान रखता है।
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