विषयसूची
अरवल जिले का इतिहास
प्राचीन इतिहास
मध्यकालीन इतिहास
आधुनिक इतिहास
अरवल जिले की भौगोलिक स्थिति
संस्कृति और जनसंख्या
अर्थव्यवस्था और कृषि
पर्यटन स्थल
प्रमुख कॉलेज शिक्षण संस्थान
विशेष
History of Arwal: अरवल जिला बिहार राज्य के आर्थिक प्रमुख जिलों में से एक है और यह मगध क्षेत्र में स्थित एक महत्वपूर्ण जिला है। इसका गठन 20 अगस्त 2001 को गया जिले से विभाजित करके किया गया था। यह जिला ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से समृद्ध है। आइए इसके इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से जानते हैं।
History of Arwal
प्राचीन इतिहास
अरवल क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से मगध साम्राज्य का हिस्सा रहा है। महाजनपद काल में यह क्षेत्र शक्तिशाली मगध राज्य के अंतर्गत आता था, जिसकी राजधानी राजगृह और बाद में पाटलिपुत्र (पटना) बनी। मौर्य और गुप्त वंश के शासन के दौरान भी यह क्षेत्र बौद्ध और जैन धर्म का एक प्रमुख केंद्र रहा।
History of Arwal: मध्यकालीन इतिहास
मध्यकाल में यह क्षेत्र विभिन्न शासकों के अधीन रहा, जिनमें मुगल और बंगाल के नवाबों का प्रभाव था। इस क्षेत्र में कई युद्ध हुए, खासकर अफगानों, मुगलों और अंग्रेजों के शासन के दौरान।
आधुनिक इतिहास
ब्रिटिश शासन के समय यह क्षेत्र गया जिले का हिस्सा था और स्वतंत्रता संग्राम में इस क्षेत्र के लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1942 के “भारत छोड़ो आंदोलन” में यहाँ के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। 2001 में इसे एक अलग जिला बनाया गया।
अरवल जिले की भौगोलिक स्थिति
स्थिति: यह बिहार के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है।
सीमाएँ
- उत्तर में पटना जिला
- पूर्व में जहानाबाद जिला
- दक्षिण में औरंगाबाद जिला
- पश्चिम में भोजपुर जिला
- मुख्य नदियाँ: पुनपुन नदी और सोन नदी यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं।
संस्कृति और जनसंख्या
- भाषा: मुख्य रूप से भोजपुरी, मगही और हिंदी बोली जाती है।
- त्योहार: छठ पूजा, दीपावली, होली, दुर्गा पूजा यहाँ प्रमुख त्योहार हैं।
- जनसंख्या: 2011 की जनगणना के अनुसार, अरवल जिले की जनसंख्या लगभग 7 लाख थी।
अर्थव्यवस्था और कृषि
- यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है।
- मुख्य फसलें: गेहूं, धान, मक्का, गन्ना, दालें और तिलहन।
- उद्योग: यहाँ छोटे पैमाने के उद्योग जैसे ईंट भट्टे और हथकरघा उद्योग चलते हैं।
History of Arwal: पर्यटन स्थल
अरवल जिला, बिहार का एक समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर वाला क्षेत्र है, जहां कई प्रमुख दर्शनीय स्थल और घूमने की जगहें हैं। यहां कुछ प्रमुख स्थानों की जानकारी दी गई है-
- मधु श्रवा आश्रम – यह आश्रम आध्यात्मिक शांति और साधना के लिए जाना जाता है।

- फखरपुर मंदिर- यह मंदिर प्राची नाश्ता का केंद्र है और श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए आते हैं।
- मखदूम शाह का मजार- यह मुस्लिम धर्म को समर्पित है लेकिन यहां अन्य लोग भी अपनी मन्नत मांगने और ज्यादा चढ़ाने आते हैं।
- अगनूर जल विद्युत परियोजना – यह जल विद्युत परियोजना प्रमुख पर्यटन स्थल है जहां से प्राकृतिक दृश्य का आनंद लिया जा सकता है।
- बुढ़वा महादेव मंदिर- यह मोदी पहाड़ पर स्थित है और भगवान शिव को समर्पित अद्भुत मंदिर है।
- तिरुपति बालाजी मंदिर- क्या मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित थे और वास्तु कला के दृश्य से बहुत ही खूबसूरत है।
इन सबके अलावा यहां देवकुंड, किंजर किला और सोनपुर का मंदिर भी बहुत फेमस है जहां स्थानीय लोग और पर्यटक दूर-दूर से घूमने देखने आते हैं।
प्रमुख कॉलेज शिक्षण संस्थान
अलवर जिले के प्रमुख को कॉलेज और शिक्षण संस्थान में R.C.S. COLLEGE, S S College, S.J.S COLLEGE KURTHA, FATEHPUR SANDA COLLEGE, और राजकीय डिग्री कॉलेज प्रमुख है जहां छात्र शिक्षा प्राप्त करते हैं।
NOTE:- हालांकि वर्तमान में अरवल जिले में कोई विश्वविद्यालय नहीं है। उच्च शिक्षा के लिए, छात्र निकटवर्ती जिलों में स्थित विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेते है।
विशेष:
History of Arwal: अरवल जिला ऐतिहासिक रूप से समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से विविध क्षेत्र है। कृषि यहाँ की प्रमुख आर्थिक गतिविधि है, लेकिन औद्योगीकरण और विकास की अभी भी आवश्यकता है। यह जिला बिहार की सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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