विषयसूची
प्राचीन काल में औरंगाबाद जिले की स्थापना:
औरंगाबाद जिले के मध्यकाल की घटना:
आधुनिक काल में ब्रिटिश शासन का विरोध एवं औरंगाबाद का विकास:
औरंगाबाद के सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू का इतिहास:
औरंगाबाद के प्रमुख दर्शनीय स्थल
4. चंद्रशेखर आज़ाद जलाशय (नबीनगर डैम)
औरंगाबाद, बिहार में प्रमुख उद्योग:
Bihar History of Aurangabad: प्राचीन काल में मगध के महाजनपद साम्राज्य में स्थित था और प्राचीन काल से इतिहास और संस्कृति को उच्च स्तर पर ले जाने में अहम भूमिका निभा रहा है। बिहार के औरंगाबाद जिले का इतिहास समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जो प्राचीन काल से आधुनिक समय तक कई महत्वपूर्ण घटनाओं और परिवर्तनों का साक्षी रहा है।
प्राचीन काल में औरंगाबाद जिले की स्थापना
प्राचीन काल में, औरंगाबाद क्षेत्र मगध महाजनपद (1200-900 ईसा पूर्व) का हिस्सा था। यह क्षेत्र बिम्बिसार (5वीं शताब्दी ईसा पूर्व) और अजातशत्रु (4वीं शताब्दी ईसा पूर्व) जैसे शासकों के अधीन रहा, जिन्होंने मगध साम्राज्य का विस्तार किया। इतिहासकारों को मानना है कि 16 सदस्य ईस्वी में मलिक अंबर ने औरंगाबाद की स्थापना की थी।
Bihar History of Aurangabad: मध्यकाल की घटना
मध्यकाल में, औरंगाबाद क्षेत्र रोहतास सरकार का हिस्सा था। शेरशाह सूरी के शासनकाल के दौरान यह क्षेत्र महत्वपूर्ण बन गया। शेरशाह सूरी की मृत्यु के बाद, यह क्षेत्र अकबर के शासन के अधीन आ गया। इस दौरान, अफगान विद्रोहों को टोडरमल द्वारा दबाया गया, और अफगान वास्तुकला के कुछ तत्व आज भी यहां देखे जा सकते हैं।
आधुनिक काल में ब्रिटिश शासन का विरोध एवं औरंगाबाद का विकास

Bihar History of Aurangabad: ब्रिटिश शासन के दौरान, औरंगाबाद क्षेत्र जमींदारों के नियंत्रण में था, जिनमें देव, कुटुम्बा, माली, पवई, चंद्रगढ़, और सिरिस के जमींदार शामिल थे। इनमें से कई जमींदारों ने ब्रिटिश शासन का विरोध किया। उदाहरण के लिए, देव के राजा फतेह नारायण सिंह ने ब्रिटिशों के खिलाफ कुंवर सिंह का समर्थन किया।
1865 में, बिहार जिला पटना जिला से अलग हो गया, और औरंगाबाद को बिहार जिले का उपखंड बनाया गया। फिर 1972 ई को औरंगाबाद गया जिले से अलग हुआ और 26 जनवरी 1973 को, औरंगाबाद को एक स्वतंत्र जिला घोषित किया गया। इस संबंध में सरकारी अधिसूचना 19 जनवरी 1973 को जारी की गई थी। के. ए. एच. सुब्रमण्यम औरंगाबाद जिले के पहले जिला मजिस्ट्रेट थे।
Bihar History of Aurangabad: औरंगाबाद के सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू का इतिहास
औरंगाबाद को कभी-कभी “बिहार का चितौड़गढ़” कहा जाता है, क्योंकि यहां सूर्यवंशी राजपूतों की महत्वपूर्ण आबादी है। 1952 में पहले भारतीय आम चुनाव के बाद से, औरंगाबाद ने केवल राजपूत प्रतिनिधियों को ही चुना है। इसके अलावा, यह क्षेत्र मौर्य, गुप्त, और गहड़वाल वंशों के प्रतिनिधित्व के लिए भी जाना जाता है।
औरंगाबाद की भूमि महापुरुषों की जन्मस्थली रही है। बिहार के पहले उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री, अनुग्रह नारायण सिंह, इसी जिले के पोइवां गांव के निवासी थे। इसके अलावा, सत्येंद्र नारायण सिंह, जो बिहार के मुख्यमंत्री रहे, औरंगाबाद से ही थे।
धार्मिक दृष्टिकोण से, औरंगाबाद का देव सूर्य मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यह मंदिर अपनी अनोखी स्थापत्य कला और पौराणिक महत्ता के लिए जाना जाता है, जहां हजारों श्रद्धालु दर्शन और पूजन के लिए आते हैं।
औरंगाबाद के प्रमुख दर्शनीय स्थल

बिहार के औरंगाबाद जिले में कई ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक दर्शनीय स्थल हैं। यहाँ कुछ प्रमुख स्थानों की सूची दी गई है:
1. देव सूर्य मंदिर
- यह भारत के प्राचीन सूर्य मंदिरों में से एक है।
- हर साल छठ पूजा के दौरान यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
- कहा जाता है कि यह मंदिर त्रेतायुग में राजा अयोध्यानाथ द्वारा बनवाया गया था।
2. अंबा मंदिर
- यह देवी दुर्गा को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है।
- नवरात्रि के समय यहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है।
3. उमगा मंदिर
- भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर हिंदू और बौद्ध शैली की मिश्रित वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है।
4. चंद्रशेखर आज़ाद जलाशय (नबीनगर डैम)
- यह एक खूबसूरत जलाशय और पिकनिक स्थल है।
- स्थानीय लोग इसे “अज़ाद डैम” भी कहते हैं।
औरंगाबाद, बिहार में प्रमुख उद्योग
Aurangabad जिला औद्योगिक रूप से धीरे-धीरे विकसित हो रहा है। यहाँ के प्रमुख उद्योगों में शामिल हैं:
- थर्मल पावर प्लांट – नबीनगर में NTPC (National Thermal Power Corporation) द्वारा एक बड़ा थर्मल पावर प्लांट स्थापित किया गया है।
- सीमेंट उद्योग – जिले में कुछ छोटे एवं मध्यम स्तर के सीमेंट उद्योग संचालित हैं।
- ब्रिक (ईंट) निर्माण – औरंगाबाद में ईंट भट्टों की संख्या अधिक है, जो स्थानीय निर्माण कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- कृषि आधारित उद्योग – धान, गेहूं, मक्का और दलहन की खेती के कारण यहाँ आटा मिल, दाल मिल और तेल मिल जैसे कृषि आधारित उद्योग मौजूद हैं।
- हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग – बांस और लकड़ी के उत्पाद, जरी-जरदोजी का काम और पारंपरिक हस्तशिल्प उद्योग भी यहाँ के ग्रामीण इलाकों में प्रचलित हैं।
Aurangabad जिले का प्रसिद्ध भोजन
औरंगाबाद बिहार के पारंपरिक व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के लोकप्रिय खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
- लिट्टी-चोखा – यह बिहार का सबसे प्रसिद्ध व्यंजन है, जिसे सत्तू से भरकर बनाया जाता है और बैंगन-आलू के चोखे के साथ खाया जाता है।
- सत्तू पराठा – सत्तू से बना पराठा और साथ में अचार व दही एक स्वादिष्ट विकल्प होता है।
- ठेकुआ – यह एक मीठा पकवान है, जिसे खासकर छठ पूजा के दौरान बनाया जाता है।
- मालपुआ – यह बिहार की एक पारंपरिक मिठाई है, जिसे खास मौकों पर बनाया जाता है।
- खाजा – यह कुरकुरी मिठाई बिहार की विशेषता है और इसे शादी-विवाह में भी परोसा जाता है।
- दाल-भात-तरकारी – रोजमर्रा के खाने में चावल, दाल, सब्जी और अचार का खास महत्व होता है।
- मटन-चावल – कुछ इलाकों में विशेष अवसरों पर मटन और चावल का सेवन किया जाता है।
प्रमुख कृषि की ओर विकास
औरंगाबाद जिला, बिहार के 38 जिलों में से एक है, जहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर निर्भर है। यहां के किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ नई फसलों की खेती में भी सक्रिय हैं।
धान इस क्षेत्र की प्रमुख फसल है। हाल के वर्षों में, औरंगाबाद के किसान स्ट्रॉबेरी की खेती की ओर भी अग्रसर हुए हैं। इस बढ़ती रुचि को देखते हुए, जनवरी 2025 में, जिले में स्ट्रॉबेरी का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की घोषणा की गई है। इस केंद्र का उद्देश्य किसानों को स्ट्रॉबेरी की विभिन्न किस्मों, रोपाई की तकनीकों और कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से सहायता प्रदान करना है।
कृषि विकास को और सुदृढ़ करने के लिए, जिले में ‘आत्मा’ (कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण) सक्रिय है। यह संगठन कृषि से जुड़े सभी विभागों, संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ समन्वय स्थापित कर किसानों को तकनीकी सेवाएं और प्रशिक्षण प्रदान करता है।
इस प्रकार, औरंगाबाद जिले में कृषि क्षेत्र पारंपरिक और नवीन दोनों प्रकार की फसलों के माध्यम से निरंतर प्रगति कर रहा है, जिससे किसानों की आय और जीवन स्तर में सुधार हो रहा है।
विशेष
औरंगाबाद का इतिहास प्राचीन साम्राज्यों, मध्यकालीन संघर्षों, ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों, और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मिश्रण है, जो इसे बिहार के महत्वपूर्ण जिलों में से एक बनाता है।
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