विषयसची
वाराणसी (बनारस) जिले का संपूर्ण इतिहास
प्राचीन इतिहास
1. वैदिक एवं पौराणिक काल
2. महाजनपद काल (छठी शताब्दी ईसा पूर्व)
मध्यकालीन इतिहास
1. मुस्लिम शासकों का प्रभाव (12वीं-18वीं शताब्दी)
2. मराठा और बंगाल नवाबों का योगदान
आधुनिक इतिहास (ब्रिटिश काल और स्वतंत्रता संग्राम)
स्वतंत्रता के बाद (1947 से वर्तमान तक)
संस्कृति और विरासत
प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थल
1. घाट (Ghats)
2. मंदिर (Temples)
3. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल
4. प्राकृतिक और दर्शनीय स्थल
5. खरीदारी और भोजन
6. अन्य प्रमुख स्थल
विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थान:
विश्वविद्यालय:
कॉलेज:
तकनीकी और प्रबंधन संस्थान:
चिकित्सा संस्थान:
विशेष:
वाराणसी (बनारस) जिले का संपूर्ण इतिहास
History of Banaras: वाराणसी, जिसे बनारस या काशी के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक नगर है। यह उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे स्थित है और हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। वाराणसी को भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक राजधानी भी कहा जाता है।
History of Banaras प्राचीन इतिहास
वैदिक एवं पौराणिक काल
बनारस का उल्लेख ऋग्वेद और पुराणों में मिलता है। इसे शिव की नगरी माना जाता है, जहाँ भगवान शिव स्वयं निवास करते हैं। स्कन्द पुराण, पद्म पुराण और अन्य ग्रंथों में काशी की महिमा का वर्णन मिलता है। कहा जाता है भगवान शिव ने 5000 साल वर्ष पहले काशी नगरी की स्थापना की थी| यहाँ भगवान बुद्ध ने पहली बार सारनाथ में अपना उपदेश दिया था, जिससे बौद्ध धर्म की नींव पड़ी।
महाजनपद काल (छठी शताब्दी ईसा पूर्व)
वाराणसी को काशी महाजनपद की राजधानी के रूप में जाना जाता था। उस समय यह व्यापार, शिक्षा और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र था। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग (7वीं शताब्दी) ने भी वाराणसी के समृद्धि और सांस्कृतिक वैभव का उल्लेख किया है।
History of Banaras मध्यकालीन इतिहास
मुस्लिम शासकों का प्रभाव (12वीं-18वीं शताब्दी)
12वीं शताब्दी में मुहम्मद गोरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे लूटकर यहाँ के कई मंदिरों को नष्ट कर दिया। फिरोज शाह तुगलक और सिकंदर लोदी ने भी वाराणसी पर शासन किया और यहाँ के मंदिरों को तोड़ा। मुगल बादशाह अकबर ने यहाँ कुछ मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया और इसे एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में पुनः स्थापित किया। औरंगजेब ने पुनः कई मंदिरों को ध्वस्त करवाकर वहाँ मस्जिदें बनवाईं, जिनमें ज्ञानवापी मस्जिद प्रमुख है।
मराठा और बंगाल नवाबों का योगदान
18वीं शताब्दी में मराठा, बंगाल के नवाब और स्थानीय हिंदू राजाओं ने वाराणसी के पुनर्निर्माण में योगदान दिया। पेशवा, होल्कर, सिंधिया और अन्य राजघरानों ने यहाँ कई मंदिरों और घाटों का निर्माण करवाया। काशी नरेश (स्थानीय राजा) ने भी धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया।
आधुनिक इतिहास (ब्रिटिश काल और स्वतंत्रता संग्राम)
1775 में अंग्रेजों ने वाराणसी को अपने नियंत्रण में ले लिया और इसे एक स्वतंत्र राज्य के रूप में काशी नरेश को सौंप दिया। वाराणसी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा। महात्मा गांधी, पंडित मदन मोहन मालवीय और अन्य नेताओं ने यहाँ से कई आंदोलन चलाए। 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा की गई, जो आज भी शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।
स्वतंत्रता के बाद (1947 से वर्तमान तक)
- 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद वाराणसी उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक शहर बना।
- बनारस (वाराणसी) 1948 में एक ज़िला बना था।
- इससे पहले, यह ब्रिटिश भारत में एक रियासत (बनारस स्टेट) का हिस्सा था। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, 15 अक्टूबर 1948 को बनारस को आधिकारिक रूप से उत्तर प्रदेश राज्य में शामिल कर एक ज़िला बनाया गया। बाद में, इसका नाम वाराणसी कर दिया गया।
- यहाँ की प्रमुख विशेषताएँ हैं:
- काशी विश्वनाथ मंदिर (शिव का प्रमुख ज्योतिर्लिंग)
- सारनाथ (जहाँ बुद्ध ने पहला उपदेश दिया)
- दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, और अस्सी घाट
- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
- बनारसी साड़ी उद्योग और हस्तशिल्प
संस्कृति और विरासत
वाराणसी भारतीय संगीत, नृत्य और कला का प्रमुख केंद्र है। यह रविदास, तुलसीदास, कबीर और पंडित रविशंकर जैसे महान संतों और कलाकारों की भूमि है। यहाँ गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है, जो दशाश्वमेध घाट पर प्रतिदिन होती है। बनारस का पान और यहाँ की बनारसी साड़ी विश्व प्रसिद्ध है।
प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थल
बनारस (वाराणसी) भारत की सबसे प्राचीन और धार्मिक नगरी में से एक है। यह अपनी आध्यात्मिकता, घाटों, मंदिरों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ घूमने के लिए कई प्रमुख स्थान हैं:
घाट (Ghats)
- दशाश्वमेध घाट – गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध है
- अस्सी घाट – पर्यटकों और साधकों के लिए प्रमुख स्थान मना जाता है
- मणिकर्णिका घाट – प्रमुख शवदाह स्थल है.

- हरिश्चंद्र घाट – एक और प्रसिद्ध शवदाह घाट है
- पंचगंगा घाट – पाँच नदियों के संगम का प्रतीक माना जाता है
- राजेंद्र प्रसाद घाट – ऐतिहासिक महत्व का घाट है
मंदिर (Temples)
- काशी विश्वनाथ मंदिर – 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है

- मां अन्नपूर्णा मंदिर – देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है और यहां भक्तों का ताँता लगा रहता है
- काल भैरव मंदिर – काशी के कोतवाल कहे जाने वाले भगवान काल भैरव का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है
- दुर्गा मंदिर (लाल मंदिर) – शक्ति उपासना का प्रसिद्ध स्थल हेयर नवरात्रों में यहां भक्तों की भाड़ी भीड़ जमा होती है
- संकट मोचन हनुमान मंदिर – हनुमान भक्तों के लिए प्रमुख मंदिर है
- न्यू काशी विश्वनाथ मंदिर (बीएचयू) – बिड़ला परिवार द्वारा निर्मित मंदीर है
- तुलसी मानस मंदिर – यह वह मंदिर है जहाँ तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल
- बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) – एशिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है
- रामनगर किला – ऐतिहासिक महत्व का किला है और काफी विस्तृत तौर पर फैला हुआ है और बनारस से कुछ दूर स्थित रामनगर में है.

- भारतमाता मंदिर – भारत के मानचित्र के साथ एक अनोखा मंदिर है
- सारनाथ – गौतम बुद्ध द्वारा पहला उपदेश दिया गया स्थल है और एक पर्यटन स्थल बन गया है और बौद्ध मत के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है
- राजघाट – ऐतिहासिक स्थल है
प्राकृतिक और दर्शनीय स्थल
- गंगा नदी की नाव यात्रा – बनारस स्थित गंगा नदी में नौकर यात्रा बहुत प्रसिद्ध है और जब भी कोई भक्त यहां आता है तो यहां नौका यात्रा जरूर करता है इसलिए आप जब भी काशी आए तो सुबह और शाम के समय नाव यात्रा अवश्य करें
- गंगा आरती – दशाश्वमेध घाट पर हर शाम होने वाली आरती बहुत प्रसिद्ध है और लोग इसे रुक कर जरूर देखते हैं
खरीदारी और भोजन
- विश्वनाथ गली और ठठेरी बाजार – बनारसी साड़ियों और हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है यहां हर तरह की और हर रेंज में बनारसी साड़ी मिलती है
- गोदौलिया मार्केट – पारंपरिक बनारसी सामान खरीदने के लिए इस मार्केट में लोग आते हैं।
- काशी चाट भंडार और दीनानाथ लस्सी – बनारसी स्वाद का आनंद लेने के लिए काशी चाट भंडार और दीनानाथ लस्सी प्रसिद्ध दुकान है।
History of Banaras अन्य प्रमुख स्थल
- चौखंडी स्तूप – सारनाथ में स्थित प्रसिद्ध स्तूप है

- धमेक स्तूप – बौद्ध धर्म का प्रमुख स्थल है
- तिब्बती मंदिर – सारनाथ में स्थित है
- जैन मंदिर – भगवान पार्श्वनाथ से संबंधित है
विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थान
वाराणसी, जिसे बनारस या काशी भी कहा जाता है, शिक्षा के क्षेत्र में एक समृद्ध इतिहास रखता है। यहाँ कई प्रमुख कॉलेज, विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान स्थित हैं। कुछ प्रमुख संस्थान निम्नलिखित हैं-
विश्वविद्यालय
- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU): 1916 में पंडित मदनमोहन मालवीय द्वारा स्थापित, यह एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है, जो लगभग 15 वर्ग किलोमीटर में फैला है और 100 से अधिक विभागों के साथ 14 संकायों में विभाजित है।
- महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ: यह एक प्रमुख विश्वविद्यालय है जो उच्च शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय: यह विश्वविद्यालय संस्कृत भाषा और साहित्य के अध्ययन और अनुसंधान के लिए समर्पित है।
कॉलेज
- उदय प्रताप स्वायत्तशासी कॉलेज: यह एक प्रतिष्ठित कॉलेज है जो विज्ञान, कला और वाणिज्य के विभिन्न पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
- वसंत कन्या महाविद्यालय: यह महिला महाविद्यालय कला और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करता है।
- वसंता कॉलेज फॉर वीमेन: यह कॉलेज महिला शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
- महिला महाविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय: यह BHU का एक हिस्सा है और महिला शिक्षा के लिए समर्पित है।
तकनीकी और प्रबंधन संस्थान
- इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, BHU: यह संस्थान इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्रदान करता है।
- स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट साइंसेज, वाराणसी: यह प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है।
चिकित्सा संस्थान
- चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय: यह संस्थान चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के लिए प्रसिद्ध है।
इन संस्थानों के अलावा, वाराणसी में कई अन्य शिक्षण संस्थान, हैं जो शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
NOTE:- वाराणसी की यह शैक्षणिक विरासत इसे भारत के प्रमुख शिक्षा केंद्रों में से एक बनाती है। बनारस में घूमने के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल भरपूर हैं। यहाँ की गलियों, मंदिरों, घाटों और भोजन का अनुभव अविस्मरणीय होता है।
History of Banaras विशेष
History of Banaras: बनारस केवल एक शहर नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। इसकी गंगा के घाट, मंदिर, संकीर्तन, और यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा इसे विश्व के सबसे प्राचीन और जीवंत शहरों में से एक बनाती है। यह शहर समय के साथ बदलता रहा, लेकिन इसकी आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विरासत आज भी अटूट बनी हुई है। मूवी प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भी बनारस जिले को विकसित और आधुनिक बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है इस मंदिर का भव्य पुनरनिर्माण हुआ और बनारस का एयरपोर्ट भी आधुनिक बनाया गया।
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