विषयसूची
छपरा जिले का सम्पूर्ण इतिहास
प्राचीन इतिहास
मध्यकालीन इतिहास
आधुनिक इतिहास
छपरा जिले की मुख्य भाषा
छपड़ा के प्रमुख उद्योग-धंधे
छपड़ा का प्रसिद्ध खाना
छपरा जिले के कॉलेज विश्वविद्यालय और प्रमुख शिक्षण संस्थान
Chhapra जिले से संबंधित कुछ अन्य बातें –
छपरा जिले से संबंधित कुछ अन्य बातें –
विशेष:
History of Chhapra: छपरा बिहार का एक महत्वपूर्ण जिला है जिसे सारन या शरण भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि मौर्य सम्राट अशोक के समय में धर्म स्तंभों को शरण कहा जाता था और इसलिए इसका नाम शरण पड़ा। छपरा, जिसे सारण जिला भी कहा जाता है, बिहार राज्य के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र है। यह गंगा, घाघरा और गंडक नदियों के संगम के निकट बसा हुआ है, जो इसे कृषि और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण बनाता है। आई आपको यह छपरा के इतिहास के बारे में विशेष तौर पर बताते हैं।
History of Chhapra: सम्पूर्ण इतिहास
प्राचीन इतिहास
ऐसा माना जाता है कि छपरा प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था। 9वीं शताब्दी के ऐतिहासिक अभिलेखों में दिघवा दूबौली गाँव का उल्लेख मिलता है, जहाँ से राजा महेंद्र पालदेव के शासनकाल में तांबे की पट्टिका प्राप्त हुई थी। महाभारत काल में, यह क्षेत्र गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम से भी जुड़ा हुआ है। यहाँ के अंबिका भवानी मंदिर में राजा दक्ष के यज्ञ कुंड का उल्लेख मिलता है, जहाँ देवी सती ने आत्मदाह किया था। इसके अलावा, गौतम ऋषि का आश्रम भी यहीं स्थित था, जहाँ अहिल्या का उद्धार भगवान राम द्वारा हुआ था।
चिरांद, जो छपरा से लगभग 11 किलोमीटर दूर है, एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है, जहाँ से 3000-2000 ईसा पूर्व की सभ्यता के अवशेष मिले हैं। वही छपरा संग्रहालय में खुदाई में प्राचीन औजार और मूर्तियां मिली है। जबकि एकसारी और सिलोरी में भगवान विष्णु की बेसाल्ट निर्मित प्रतिमा और उमा महेश्वर की प्रतिमा भी मिली है इसे पता चलता है कि छपरा जिले का इतिहास काफी पुराना है।
मध्यकालीन इतिहास
16वीं शताब्दी में, छपरा का उल्लेख ‘आईन-ए-अकबरी’ में मिलता है, जहाँ इसे बिहार प्रांत के छह राजस्व सरदारों में से एक के रूप में दर्ज किया गया था। इस अवधि में, यहाँ पोटैशियम नाइट्रेट बनाने के कारखाने की स्थापना हुई, जिससे यह क्षेत्र व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ।
आधुनिक इतिहास
18वीं शताब्दी में, डच, फ्रांसीसी, पुर्तगाली और अंग्रेजों ने यहाँ पोटेशियम नाइट्रेट इकाइयाँ स्थापित कीं, जिससे छपरा नदी तट पर एक महत्वपूर्ण बाजार के रूप में उभरा। 1864 में, इसे नगरपालिका का दर्जा प्राप्त हुआ। 1866 में यह चंपारण से अलग हुआ| 1972 में, सारण जिले के पुनर्गठन के बाद, सिवान और गोपालगंज को अलग जिलों के रूप में स्थापित किया गया, और छपरा सारण जिले का मुख्यालय बना।
Chhapra जिले की मुख्य भाषा
छपरा जिले की मुख्य भाषा भोजपुरी है। इसके अलावा हिंदी भी बोली और समझी जाती है, खासकर प्रशासनिक कार्यों और शिक्षा में।
Chhapra जिले के दर्शनीय स्थल
छपरा का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में योगदान है। यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं-
- डच कब्रिस्तान: यह छपरा से 5 किलोमीटर दूर स्थित है और 10 गवर्नर जब वस्तु वन हैंड की याद में बनाया गया है।
- चिरांद: घाघरा नदी के उत्तरी तट पर स्थित यह स्थल नवपाषाण युग की सभ्यता के अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की खुदाई से प्राप्त पुरातात्विक सामग्री प्राचीन मानव सभ्यता की झलक देती है।
- गौतम स्थान: रिविलगंज में स्थित यह स्थान महर्षि गौतम के आश्रम के रूप में जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहीं पर अहिल्या का उद्धार हुआ था।

- आमी मंदिर: छपरा से लगभग 37 किमी पूर्व में स्थित यह मंदिर देवी अंबिका को समर्पित है। यहाँ एक प्राचीन कुआँ है जिसका जल कभी नहीं सूखता, और नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष मेले का आयोजन होता है।
- सोनपुर मेला: सोनपुर में गंगा और गंडक नदियों के संगम पर आयोजित यह मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- द्वारकाधीश मंदिर: छपरा जिले का यह सुंदर मंदिर अब एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है।

- जल मंदिर – तकरीबन 1000 साल पुराना मंदिर है और इसी मान्यता है कि यहां जल चढ़ाने से धन की वर्षा होती है और धन की कमी नहीं होती है।
छपड़ा के प्रमुख उद्योग-धंधे
- लकड़ी और फर्नीचर उद्योग– यहाँ लकड़ी का काम काफी प्रसिद्ध है, खासकर फर्नीचर और दरवाजों के निर्माण में।
- चूड़ा (पोहा) और तेल मिलें– चपड़ा और आसपास के इलाकों में चूड़ा (चिवड़ा) और सरसों तेल उत्पादन के कई छोटे मिल स्थापित हैं। यह मिल गई लोगों के रोजगार का साधन बना हुआ है।
- चीनी मिलें– चपड़ा और इसके आसपास गन्ने की खेती होती है, जिससे चीनी मिलों का संचालन होता है।
- हस्तशिल्प और मिट्टी के बर्तन– ग्रामीण इलाकों में मिट्टी के बर्तनों और हस्तशिल्प से जुड़े कार्य होते हैं।
- रेलवे से जुड़े व्यवसाय– चपड़ा एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन है, जिससे यहाँ रेलवे से जुड़े कई छोटे व्यवसाय और दुकानें हैं।
- फलों और सब्जियों का व्यापार– चपड़ा में केला, टमाटर, आलू और अन्य सब्जियों का अच्छा उत्पादन होता है, जिससे यहाँ इनका थोक व्यापार होता है।
- शिक्षा और कोचिंग संस्थान– हाल के वर्षों में चपड़ा शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ा है, खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर काफी प्रसिद्ध हो रहे हैं।
छपड़ा का प्रसिद्ध खाना
बिहारी मटन और मछली करी– छपड़ा गंगा नदी के किनारे स्थित है, जिससे यहाँ मछली के व्यंजन भी बहुत लोकप्रिय हैं। इसके अलावा छपरा में लिट्टी चोखा और दही चुरा खासतौर पर फेमस है। मिठाइयों की बात करें तो यहां ठेकुआ, पिरोकिया और बालूशाही फेमस है, और यह यहां शादी में भी शगुन के तौर पर बनाया जाता है।
छपरा जिले के कॉलेज विश्वविद्यालय और प्रमुख शिक्षण संस्थान
जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा में प्रसिद्ध है जो 1950 में बना था और शिक्षा के क्षेत्र में अपना अभूतपुर योगदान दे रहा है।छपरा के प्रमुख कॉलेज में राजेंद्र कॉलेज, जगदम कॉलेज,गंगा सिंह कॉलेज, राम जयपाल कॉलेज, जयप्रकाश महिला कॉलेज और जयप्रकाश प्रौद्योगिकी संस्थान प्रमुख शिक्षण संस्थान है। जहाँ इन संस्थानों के माध्यम से छपरा जिला उच्च शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
छपरा जिले से संबंधित कुछ अन्य बातें-
2011 की जनगणना के अनुसार, छपरा (सारण) जिले की कुल साक्षरता दर 67.17% थी, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 77.89% और महिला साक्षरता दर 55.13% थी।
विशेष:
History of Chhapra: विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं के समन्वय का उदाहरण है, जो इसे बिहार के महत्वपूर्ण जिलों में से एक बनाता है।
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