History of Chitrakoot: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के विंध पर्वत के मध्य अवस्थित है|उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले का इतिहास धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत समृद्ध है। यह स्थान रामायण काल से जुड़ा हुआ है और इसे हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है।
Historical and Religious Importance of Chitrakoot
विषयसूची
Historical and Religious Importance of Chitrakoot
Famous Tourist Place
कामदगिरि पर्वत (History of Chitrakoot)
रामघाट
भरतकूप (History of Chitrakoot0
सती अनुसूया आश्रम
गुप्त गोदावरी गुफाएं
हनुमान धारा
जानकी कुंड
स्पटिक शिला
वाल्मीकि आश्रम
कृषि (Agriculture)
industries and Businesses
Demography
College, Educational Institution, University
Famous food of Chitrakoot
- रामायण से संबंध:
चित्रकूट वह स्थान है जहाँ भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान सीता और लक्ष्मण के साथ लगभग 11 वर्षों तक निवास किया था। यहीं भरत भगवान राम से मिलने आए थे और उनका “पादुका राज्याभिषेक” हुआ था। - वाल्मीकि रामायण:
महर्षि वाल्मीकि ने अपने रामायण में चित्रकूट का विस्तार से वर्णन किया है। इसे ‘ऋषियों की तपोभूमि’ भी कहा जाता है, जहाँ अनेक महर्षियों ने तप किया। - धार्मिक स्थल:
- कामदगिरी पर्वत: इसे भगवान राम की परिक्रमा स्थली माना जाता है।
- गुप्त गोदावरी गुफाएँ: जहाँ कहा जाता है कि राम और सीता ने कुछ समय बिताया।
- स्फटिक शिला: एक चट्टान, जहाँ भगवान राम और सीता बैठा करते थे।
- हनुमान धारा, भारत मिलाप मंदिर और रामघाट जैसे प्रमुख स्थल यहाँ हैं।
- मध्यकालीन इतिहास:
चित्रकूट मध्यकाल में भी तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध रहा। कई संतों और भक्तों ने यहाँ तपस्या की, जिनमें गोस्वामी तुलसीदास प्रमुख हैं। उन्होंने यहीं पर रामचरितमानस की रचना प्रारंभ की थी। - आधुनिक चित्रकूट:
यह ज़िला उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। 6 में 1977 को इस बांदा जिले से अलग कर छत्रपति साहू की नगरी के रूप में घोषित किया गया फिर उसके बाद 9 सितंबर 1997 में इसे उत्तर प्रदेश का स्वतंत्र जिला घोषित किया गया। चित्रकूट धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी प्रसिद्ध है।
प्रमुख पर्यटन स्थल (Famous Tourist Place Chitrakoot)
चित्रकूट जिला उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित एक पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है, जिसे धार्मिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह स्थान रामायण काल से जुड़ा हुआ है और भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के वनवास का एक प्रमुख केंद्र रहा है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन, धार्मिक और दर्शनीय स्थलों की सूची निम्नलिखित है:-
कामदगिरि पर्वत

- यह चित्रकूट का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
- भक्तजन यहाँ परिक्रमा करते हैं, जो लगभग 5 किलोमीटर लंबी है।
- कहा जाता है कि भगवान राम ने यहीं पर तपस्या की थी।
रामघाट

- मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित यह घाट धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है।
- श्रद्धालु यहाँ स्नान करते हैं और शाम को आरती होती है।
- यहीं तुलसीदास जी को भगवान राम का दर्शन हुआ था।
भरतकूप

- यह एक प्राचीन कुआँ है जहाँ भरत जी ने अयोध्या लौटते समय तीर्थों का जल एकत्र किया था।
- धार्मिक रूप से यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है।
सती अनुसूया आश्रम

- यहाँ महर्षि अत्रि और सती अनुसूया का आश्रम था।
- यह स्थान सुंदर प्राकृतिक वातावरण में स्थित है और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
गुप्त गोदावरी गुफाएं
- यह दो गुफाएं हैं, जहाँ एक गुफा में पानी बहता है।
- माना जाता है कि श्रीराम और लक्ष्मण ने कुछ समय यहाँ बिताया था।
- यह एक बहुत ही रहस्यमय और आकर्षक स्थल है।
हनुमान धारा

- यह एक पहाड़ी पर स्थित स्थान है जहाँ से जलधारा गिरती है।
- माना जाता है कि यह जलधारा स्वयं भगवान श्रीराम ने हनुमान जी की तपस्या शांत करने के लिए प्रवाहित की थी।
जानकी कुंड

- यह स्थान मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है जहाँ माता सीता स्नान करती थीं।
- अब इसे एक पवित्र स्थल के रूप में पूजा जाता है।
स्पटिक शिला
- यह वह स्थान है जहाँ भगवान राम और माता सीता विश्राम करते थे।
- यह भी मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है।
वाल्मीकि आश्रम
- माना जाता है कि वाल्मीकि ऋषि ने यहीं रामायण की रचना की थी।
- यह स्थल गहन वन क्षेत्र में स्थित है और शांति से भरपूर है।
Agriculture
- मुख्य फसलें:
- धान (चावल) – खरीफ की प्रमुख फसल
- गेहूं – रबी मौसम की प्रमुख फसल
- चना, मसूर, मटर – दलहन फसलें
- सरसों – तिलहन की प्रमुख फसल
- मक्का और ज्वार – अन्य प्रमुख फसलें
- सिंचाई के साधन:
- कुएँ, नलकूप, और कुछ क्षेत्रों में नहरें
- मानसून पर काफी निर्भरता
- मृदा और जलवायु:
- अधिकतर काली और बलुई मिट्टी
- उपयुक्त जलवायु कृषि के लिए, लेकिन वर्षा की अनिश्चितता के कारण समस्याएँ भी होती हैं
History of Chitrakoot (industries and Businesses)
- लकड़ी और पत्थर शिल्प:
- धार्मिक मूर्तियों और सजावटी वस्तुओं का निर्माण
- चित्रकूट में पत्थर की नक्काशी प्रसिद्ध है
- हस्तशिल्प और हथकरघा:
- ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ और कारीगर पारंपरिक हस्तशिल्प में लगे हैं
- अगरबत्ती, साबुन और मोमबत्ती उद्योग:
- ये छोटे स्तर पर बने हुए घरेलू उद्योग हैं
- शहद और औषधीय पौधों का व्यवसाय:
- रामघाट और आसपास के वन क्षेत्रों में शहद उत्पादन व औषधीय जड़ी-बूटियों का संग्रह होता है
- आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन आधारित उद्योग:
- मंदिर, आश्रम और धार्मिक मेलों से जुड़ी गतिविधियाँ
- यात्रियों के लिए होटल, लॉज, प्रसाद निर्माण इत्यादि
जनसांख्यिकी (Demography)
- जनसंख्या (2011 की जनगणना के अनुसार): 999,730 है।
- जनसंख्या घनत्व: 308 व्यक्ति प्रतिवार किलोमीटर
- लिंगानुपात: 1000 पुरुष पर 880 महिलाएं
- साक्षरता दर: 65.05%
- पुरुष: 75.80%
- महिला: 52.74%
- पंचायतों की संख्या: 339 ग्राम पंचायत है
College, Educational Institution, University
चित्रकूट जिले में कई प्रमुख कॉलेज, विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान स्थित हैं, जो विभिन्न विषयों में शिक्षा प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख संस्थान निम्नलिखित हैं:-
- Goswami Tulsidas Government College
- Mahatma Gandhi Chitrakoot Gramodaya Vishwavidyalaya – MGCGV
- Mahamati Prannath College
- Sanskrit College
इन संस्थानों के माध्यम से चित्रकूट जिले में छात्रों को विभिन्न विषयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। इसके अलावा और भी कई शिक्षण संस्थान और कॉलेज है जिसके माध्यम से यहां के स्टूडेंट शिक्षा ग्रहण करते हैं और अपना भविष्य संवारते हैं।
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Famous food of Chitrakoot (History of Chitrakoot)
दाल-बाटी
- खासकर बुंदेलखंड क्षेत्र में यह बहुत लोकप्रिय है।
- बाटी को गेहूं के आटे से बनाया जाता है और घी में डुबोकर दाल के साथ परोसा जाता है।
कढ़ी-चावल
- यहाँ की कढ़ी खासतौर पर हल्की खट्टी होती है और इसमें बेसन की पकौड़ियाँ होती हैं।
- चावल के साथ इसका स्वाद लाजवाब होता है।
बेसन की रोटी और चटनी
- बेसन (चना आटा) की रोटी को नीम की पत्तियों या धनिया-पुदीना की चटनी के साथ खाया जाता है।
सत्तू
- गर्मियों में सत्तू का उपयोग ठंडक देने वाले पेय के रूप में किया जाता है।
- इसे गुड़ या नमक-नींबू के साथ मिलाकर पिया जाता है।
खेसारी दाल और भात
- यह गरीब वर्ग का मुख्य भोजन है लेकिन स्वादिष्ट होता है।
मालपुआ और पूड़ी-सब्ज़ी
- धार्मिक अवसरों पर मालपुआ (मीठा पैनकेक) बनाया जाता है।
- पूड़ी के साथ आलू की मसालेदार सब्ज़ी आम है।
गोंद के लड्डू और चिवड़ा
- सर्दियों में खासतौर पर गोंद के लड्डू खाए जाते हैं।
- चिवड़ा (मुरमुरे या पोहा से बना स्नैक) आम नाश्ता है।
History of Chitrakoot: इस तरह चित्रकूट जिला रामायण काल से चोरी होने के कारण भारत में काफी प्रसिद्ध है और एक तरह से धार्मिक और पवित्र जिला माना जाता है जहां राम और सीता से जुड़े कई धार्मिक स्थल आश्रम और मंदिर है जीने देखने दूर-दूर से लोग आते हैं और यह एक पवित्र और धार्मिक जिला में से गिना जाता है।