Tuesday, April 29, 2025
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History of Darbhanga: मिथिला नगरी “दरभंगा” का इतिहास, बाढ़ से ग्रसित के बाद भी…

History of Darbhanga: बिहार के दरभंगा जिले का इतिहास बहुत ही पुराना और समृद्ध रहा है। दरभंगा को बिहार की संस्कृति राजधानी और मिथिला का दिल की संज्ञा दी जाती है। दरभंगा ज़िला बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जिला है। इसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है और यह मिथिला की समृद्ध परंपरा, विद्या और संस्कृति का केंद्र रहा है। दरअसल दरभंगा मिथिला शब्द ‘द्वारा बंग’ या फारसी शब्द ‘दर ए बंग ‘ बंगाल का यह शब्द मिलकर दरभंगा बोलचाल की भाषा में बन गया। वैसे कहा जाता है कि दरभंगा की स्थापना महेश ठाकुर ने की थी और यह भी मानता है कि दरभंगा के मैथिली ब्राह्मण ने मिलकर दरभंगा को बसाया था। वैसे मानता तो बहुत सारी है लेकिन आज दरभंगा एक सुंदर और छाप छवि वाला जिला बन चुका है।

History of Darbhanga

1. प्राचीन काल

दरभंगा का संबंध प्राचीन मिथिला से है, जिसे विदेह राज्य के रूप में जाना जाता था। यह क्षेत्र राजा जनक की राजधानी थी, और यहाँ से ही माता सीता का जन्म हुआ था। रामायण और महाभारत काल में इस क्षेत्र का उल्लेख मिलता है। विदेह राज्य के राजा जनक विद्वानों के संरक्षक थे और इस क्षेत्र में वैदिक शिक्षा का विकास हुआ था।

2. मध्यकाल

दरभंगा क्षेत्र पर पाल, सेन और अन्य स्थानीय राजाओं का शासन रहा। मध्यकाल में यह क्षेत्र बंगाल सल्तनत और मुग़ल साम्राज्य के अधीन रहा। 16वीं-17वीं शताब्दी में यह क्षेत्र मुग़ल शासन के अंतर्गत आया और बाद में ब्रिटिश सत्ता ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। 1856 ईस्वी में ब्रिटिश ने दरभंगा शहर को अनुमंडल बनाया उसके बाद 1864 में दरभंगा नगर निकाय बना और आधुनिक युग में 1908 में पटना से हटाकर तिरहुत प्रमंडल में दरभंगा को शामिल किया गया।

3. दरभंगा राज (दरभंगा महाराज का शासन)

दरभंगा ज़िले का सबसे सुनहरा दौर 18वीं से 20वीं शताब्दी तक रहा, जब यहाँ दरभंगा राज की स्थापना हुई। दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह मिथिला के शक्तिशाली ज़मींदार थे और उनका प्रशासन बहुत प्रभावशाली था। इस दौरान शिक्षा, कला और संस्कृति का अभूतपूर्व विकास हुआ। इस कारण अंग्रेजों ने उन्हें ‘ महाराजाधिराज ‘की उपाधि दी।

  • महाराज लक्ष्मेश्वर सिंह (1858-1898) और महाराज रामेश्वर सिंह (1898-1929) ने शिक्षा और समाज सुधार में अहम भूमिका निभाई।
  • कालीश्वर कॉलेज (जो बाद में दरभंगा विश्वविद्यालय बना), संस्कृत अध्ययन और कई बड़े संस्थानों की स्थापना की गई।
  • दरभंगा राज ने अकाल राहत, अस्पतालों और सड़कों के निर्माण में भी योगदान दिया।

4. ब्रिटिश काल और स्वतंत्रता संग्राम

ब्रिटिश शासन के दौरान दरभंगा स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र रहा, यहाँ के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 तक विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया।

  • 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में यहाँ के लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • स्थानीय किसान आंदोलनों ने भी ज़मींदारी प्रथा के ख़िलाफ़ संघर्ष किया।

5. स्वतंत्र भारत में दरभंगा

स्वतंत्रता के बाद दरभंगा एक प्रमुख प्रशासनिक और शैक्षणिक केंद्र बन गया। यहाँ दरभंगा मेडिकल कॉलेज (DMCH), ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU) और अन्य शिक्षण संस्थानों की स्थापना हुई। यह क्षेत्र मिथिला पेंटिंग, लोक संगीत और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।

दरभंगा, बिहार का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध शहर है, जो अपने दर्शनीय स्थलों, मंदिरों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कुछ प्रमुख स्थानों की जानकारी दी गई है जहां जाकर आप घूम सकते हैं:

दर्शनीय स्थल और मंदिर

  1. कुशेश्वरस्थान शिव मंदिर: यह प्राचीन शिव मंदिर दरभंगा से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित है। सावन महीने और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर के पास स्थित कुशेश्वरस्थान पक्षी अभयारण्य सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का आश्रय स्थल है।
  2. अहिल्यास्थान: यह स्थल जाले प्रखंड के कमतौल रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर दक्षिण में अहियारी गाँव में स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने यहाँ महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या का उद्धार किया था। रामनवमी और विवाह पंचमी के अवसर पर यहाँ विशेष मेलों का आयोजन होता है।
  3. दरभंगा किला: महाराज कामेश्वर सिंह द्वारा निर्मित यह किला 85 एकड़ क्षेत्र में फैला है। किले के भीतर कई भव्य मंदिर स्थित हैं, और इसकी ऊँची दीवारें राजस्थान और दिल्ली के ऐतिहासिक किलों की याद दिलाती हैं।
  4. श्यामा माई मंदिर: यह मंदिर महाराजाधिराज डॉ. कामेश्वर सिंह द्वारा 1933 में स्थापित किया गया था। मंदिर के गर्भगृह में देवी श्यामा की प्रतिमा स्थापित है, और यहाँ भगवती गणेश और काल भैरव की मूर्तियाँ भी हैं। मंदिर के सामने एक बड़ा सरोवर स्थित है, जो इसकी सुंदरता में वृद्धि करता है।
  5. लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय: 1977 में स्थापित इस संग्रहालय में एक हजार वर्ष पुरानी शिलालेख और ऐतिहासिक वस्तुएँ प्रदर्शित हैं, जो इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
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University and College

दरभंगा शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी है। यहाँ स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU) उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र है। यह विश्वविद्यालय विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की पेशकश करता है, और क्षेत्र में शिक्षा के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इन स्थलों और संस्थानों के माध्यम से दरभंगा अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक और शैक्षणिक धरोहर को संजोए हुए है, जो पर्यटकों और विद्वानों के लिए समान रूप से आकर्षण का केंद्र है।

दरभंगा का जनसंख्या घनत्व

2011 की जनगणना के अनुसार, दरभंगा जिले की कुल जनसंख्या 39,37,385 थी, जिसमें पुरुषों की संख्या 20,59,949 और महिलाओं की संख्या 18,77,436 थी। इस प्रकार, लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 911 महिलाओं का था। 2001 की जनगणना में, जिले की कुल जनसंख्या 32,85,493 थी, जिसमें लिंगानुपात प्रति 1,000 पुरुषों पर 910 महिलाओं का था।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि 2001 से 2011 के बीच दरभंगा जिले की जनसंख्या में वृद्धि हुई है, और लिंगानुपात में मामूली सुधार हुआ है।

दरभंगा बिहार: प्रमुख शहर है, जहाँ खानपान और उद्योग दोनों का महत्वपूर्ण योगदान

खानपान

दरभंगा मिथिला कल्चर से ओतप्रोत है और यहां प्रमुख खानपान निम्नलिखित है –

  • सत्तू पराठा और लिट्टी-चोखा – लिट्टी चोखा स्वाद और पोषण से भरपूर है और दरभंगा के साथ पूरे बिहार में फेमस है।
  • माछ-भात – मछली और चावल का पारंपरिक भोजन मछली बनाया जाता है और मिथिला के शादी ब्याह में भी मछली विशेष रूप से बनाया जाता है।
  • मखाना व्यंजन – मखाने की खीर, नमकीन और मिठाइयाँ भी प्रसिद्ध है।
  • ठेकुआ और खाजा – तीज-त्योहारों पर खास बननेवाली मिठाइयाँ हैं।
  • दही-चूड़ा और तिलकोर का साग – लोकप्रिय और पारंपरिक भोजन है जो शादी त्योहार और व्रत और पूजा पाठ में पड़ोस जाता है।

उद्योग और व्यापार

दरभंगा मे कई प्रकार के छोटे और मध्यम उद्योग थे और आज का विकसित हो रहे हैं, जैसे:

  • मखाना उद्योग – मिथिला क्षेत्र मखाने का प्रमुख उत्पादक है।
  • मछली पालन – यहाँ मत्स्य पालन एक बड़ा व्यवसाय है।
  • मिथिला पेंटिंग और हस्तशिल्प – लोककला से जुड़े कई छोटे उद्योग।
  • कृषि और डेयरी उद्योग – दूध, पान, और अन्य कृषि उत्पादों का व्यापार।
  • हस्तनिर्मित कपड़े और सिलाई उद्योग –यह आज तेजी से बढ़ता व्यवसाय है और काफी उन्नत है।
अंतिम-

आज के आधुनिक युग में दरभंगा न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत में अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक धरोहर के लिए जाना जाता है। यह मिथिला क्षेत्र की परंपरा, विद्या और कला का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है और कई पुरानी संस्कृति और इतिहास को अपने में समेटे हुए हैं।

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Raushan Singh
Raushan Singhhttp://thesamastipur.in
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