Tuesday, April 29, 2025
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History of Kannauj: कन्नौज और रोमन कनेक्शन, इतिहास के पन्नों से जुड़ी दिलचस्प दास्तां…

History of Kannauj

कन्नौज (Kannauj) उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक जिला है, जिसका उल्लेख प्राचीन काल से मिलता है। इसे भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, विशेष रूप से हिंदू, बौद्ध, और मुस्लिम शासकों के शासनकाल के दौरान कन्नौज का जिक्र ग्रीक रोमन सभ्यता में भी मिलता है. और इसे कनॉगिंज़ा या कनोगीज़ा के नाम से जाना जाता था। वहीं वर्धन वंश के सम्राट हर्षवर्धन के समय भी कन्नौज का उल्लेख इतिहास में मिलता है। 18 सितंबर 1997 ई. को कन्नौज फर्रुखाबाद से अलग होकर जिला बना। वही गंगा काली और ईशान यहां के प्रमुख नदी है।

History of Kannauj: प्राचीन इतिहास

कन्नौज का प्राचीन नाम कान्यकुब्ज था और यह वैदिक काल से ही एक प्रमुख नगर रहा है। यह नगर प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था और यह गंगा नदी के तट पर स्थित था। महाकाव्य रामायण और महाभारत में भी कान्यकुब्ज का उल्लेख मिलता है।

गुप्त और हर्षवर्धन काल (4वीं-7वीं शताब्दी) (Gupta and Harshwardhn Empire)

गुप्त वंश के शासन के दौरान कन्नौज शिक्षा, संस्कृति और व्यापार का एक प्रमुख केंद्र था। हर्षवर्धन (606-647 ई.) के शासनकाल में कन्नौज उसकी राजधानी बनी और यह उत्तर भारत की प्रमुख शक्ति बन गया। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा विवरण में कन्नौज के वैभव और समृद्धि का उल्लेख किया है।

प्रतिहार, पाल और राष्ट्रकूट संघर्ष (8वीं-10वीं शताब्दी) Pratihar, Pal and Rasyrkoot Struggle

कन्नौज को लेकर गुर्जर-प्रतिहार, पाल और राष्ट्रकूट वंशों के बीच संघर्ष हुआ, जिसे “त्रिपक्षीय संघर्ष” कहा जाता है। इस समय कन्नौज भारतीय राजनीति का केंद्र बना रहा।

History of Kannauj: मध्यकाल और मुस्लिम शासन (11वीं-18वीं शताब्दी)

11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी ने कन्नौज पर आक्रमण किया और इसे लूट लिया। 12वीं शताब्दी में मोहम्मद गोरी ने इसे जीतकर दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बना दिया। मुगलों के शासनकाल में कन्नौज प्रशासनिक और व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना रहा।

ब्रिटिश शासन और स्वतंत्रता संग्राम (British Rule and Freedom Struggle)

ब्रिटिश शासन के दौरान कन्नौज एक महत्वपूर्ण नगर बना रहा। स्वतंत्रता संग्राम में कन्नौज के लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई।

History of Kannauj: आधुनिक काल

वर्तमान में कन्नौज अपनी इत्र (परफ्यूम) उद्योग के लिए प्रसिद्ध है और इसे “इत्र नगरी” कहा जाता है। यह जिला उत्तर प्रदेश के कृषि, व्यापार और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है।

महत्वपूर्ण स्थल (Important Place)

कन्नौज, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक नगर, अपनी समृद्ध विरासत और सुगंधित इत्र के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कई प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थल हैं जो यात्रियों को आकर्षित करते हैं-

  1. गौरी शंकर मंदिर: यह कन्नौज का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है। मंदिर की वास्तुकला और आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
Gauri Shankar Temple Kannauj Uttar Pradesh
  1. अन्नपूर्णा मंदिर, तिर्वा: कन्नौज जिले के तिर्वा क्षेत्र में स्थित यह मंदिर देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
  2. लाख बहोसी पक्षी अभयारण्य: यह भारत के सबसे बड़े पक्षी अभयारण्यों में से एक है, जो कन्नौज से लगभग 40 किमी दूर स्थित है। यहाँ सर्दियों के महीनों में विभिन्न प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है, जिससे यह पक्षी प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान बनता है।
  3. राजा जयचंद्र किला: यह किला कन्नौज के इतिहास का प्रतीक है और इसकी वास्तुकला दर्शकों को आकर्षित करती है।
Raja Jaichandra Fort Kannauj Uttar Pradesh
  1. कन्नौज इत्र बाजार: कन्नौज को ‘भारत की इत्र राजधानी’ कहा जाता है। यहाँ का इत्र बाजार विश्व प्रसिद्ध है, जहाँ विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक इत्र उपलब्ध हैं।
  2. कन्नौज पुरातत्व संग्रहालय: यह संग्रहालय विभिन्न ऐतिहासिक मूर्तियों और कलाकृतियों का संग्रह प्रस्तुत करता है, जो कन्नौज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।

इन स्थलों के माध्यम से कन्नौज की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव किया जा सकता है, जो इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाता है।

प्रमुख उद्योग धंधे और कृषि (Famous Industries and Agriculture)

मुख्य उद्योग एवं धंधे

  1. इत्र और सुगंधित तेल उद्योग – कन्नौज को “भारत का इत्र नगर” कहा जाता है। यहां पारंपरिक और प्राकृतिक तरीकों से इत्र, अत्तर और अन्य सुगंधित उत्पाद बनाए जाते हैं।
  2. तंबाकू और पान मसाला उद्योग – यहां तंबाकू से संबंधित उद्योग भी काफी प्रसिद्ध हैं।
  3. मिट्टी के बर्तन और चीनी मिट्टी उद्योग – यहां के कई कारीगर मिट्टी के बर्तन, सुराही, और चीनी मिट्टी के बर्तन बनाते हैं।
  4. सरसों तेल मिलें – यहां कई छोटे-बड़े सरसों तेल उद्योग संचालित होते हैं।
  5. हथकरघा और बुनाई उद्योग – कपड़ा बुनाई, खासकर हथकरघा से संबंधित उद्योग भी यहां मौजूद हैं।
  6. फूलों की खेती और उनसे जुड़ा व्यापार – यहां गुलाब और अन्य फूलों की खेती होती है, जिससे गुलाब जल और अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं।

कृषि:

  1. धान और गेहूं – यहां की प्रमुख फसलें धान और गेहूं हैं।
  2. आलू – कन्नौज में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है।
  3. सरसों – सरसों की खेती भी व्यापक रूप से की जाती है, जिससे तेल का उत्पादन किया जाता है।
  4. मेंथा (पुदीना) – यहां मेंथा की खेती होती है, जिससे मेंथॉल तेल निकाला जाता है।
  5. गन्ना – चीनी मिलों के लिए गन्ने की खेती की जाती है।
  6. दलहन और तिलहन फसलें – अरहर, मसूर, चना, मूंग, और सोयाबीन जैसी दालों की खेती की जाती है।
  7. सुगंधित पौधों की खेती – केवड़ा, चंदन और गुलाब जैसी सुगंधित फसलों की खेती भी होती है।

कन्नौज का अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और सुगंध उद्योग पर आधारित है, जिससे यह देशभर में प्रसिद्ध है।

  • खान पान (Food)
  • उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले का खानपान उत्तर भारतीय व्यंजनों का एक बेहतरीन मिश्रण है, जिसमें स्थानीय जायके और पारंपरिक पकवानों का समावेश होता है। कन्नौज ऐतिहासिक रूप से इत्र और मसालों के लिए प्रसिद्ध है, जिससे यहाँ के खाने में भी एक अलग सुगंध और स्वाद देखने को मिलता है।

कन्नौज के प्रमुख व्यंजन

कचौड़ी और आलू की सब्जी
  • यह यहाँ का सबसे प्रसिद्ध नाश्ता है।
  • गर्मागर्म मसालेदार कचौड़ियाँ आलू की टमाटर वाली झोलदार सब्जी और हरी चटनी के साथ परोसी जाती हैं।
जलेबी
  • सुबह के नाश्ते में खाई जाने वाली कुरकुरी और रसीली जलेबी यहाँ के खानपान का अहम हिस्सा है।
  • इसे देशी घी में बनाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।
बाफले-चोखा
  • यह व्यंजन मध्य प्रदेश और बुंदेलखंड से प्रभावित है।
  • गेहूं के आटे से बने बाफले (छोटे गेहूं के बॉल्स) को देशी घी में डुबोकर चोखा (आलू, टमाटर, बैंगन का मसलेदार मिश्रण) के साथ खाया जाता है।
सत्तू का पराठा
  • गर्मियों में लोग सत्तू (भुने हुए चने का आटा) से बने पराठे खाना पसंद करते हैं।
  • इसे प्याज, धनिया और नींबू के साथ परोसा जाता है।
मटर और मूंग की कचौड़ी
  • सर्दियों के समय मटर और मूंग दाल की स्टफिंग वाली कचौड़ियाँ बहुत लोकप्रिय होती हैं।
  • इसे हरी धनिया की चटनी और खट्टी मीठी इमली की चटनी के साथ खाया जाता है।
मावा-गुझिया
  • होली और अन्य त्योहारों पर विशेष रूप से बनाई जाती है।
  • इसमें खोया, मेवा और चीनी की भरावन होती है और इसे घी में तला जाता है।
खस्ता
  • यह एक प्रकार की कुरकुरी पूड़ी होती है, जिसे विशेष रूप से चाय के साथ खाया जाता है।
  • इसे चने की दाल की स्टफिंग के साथ भी बनाया जाता है।
मीठे पकवान
  • पेड़ा – दूध से बना यह मिठाई स्थानीय हलवाइयों की खासियत है।
  • बालूशाही – यह चीनी की चाशनी में डूबी हुई मीठी डिश होती है, जो त्योहारों पर बहुत पसंद की जाती है।
  • रबड़ी – गाढ़े दूध से बनी यह मिठाई बहुत ही स्वादिष्ट होती है और अक्सर मालपुए के साथ खाई जाती है।
  • कन्नौज का खानपान शुद्ध देशी घी और पारंपरिक मसालों का उपयोग करके बनाया जाता है, जिससे यह स्वाद में बेहद लाजवाब और सुगंधित होता है।

कॉलेज विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान

Rajkiya Engineering College, Kannauj

यह एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज है जो डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय, लखनऊ से संबद्ध है। यह संस्थान विभिन्न इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम प्रदान करता है।

Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar Government Medical College, Kannauj

पूर्व में यह सरकारी मेडिकल कॉलेज कन्नौज के नाम से जाना जाता था। यह तिर्वा, कन्नौज में स्थित एक सरकारी मेडिकल कॉलेज है जो चिकित्सा शिक्षा प्रदान करता है।

Nehru P.G. College, Chhibramau

यह कॉलेज छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से संबद्ध है और छिबरामऊ, कन्नौज में स्थित है।

P.S.M. Degree College, Kannauj

यह कॉलेज भी छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से संबद्ध है और कन्नौज में स्थित है।

Gautam Buddha Balika Mahavidyalaya, Kannauj

यह एक महिला महाविद्यालय है जो बी.एड. जैसे पाठ्यक्रम प्रदान करता है और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से संबद्ध है।

VVK Degree College, Kannauj

यह कॉलेज बी.एड. पाठ्यक्रम प्रदान करता है और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से संबद्ध है।

Hazi Mazaruddin Mahavidyalaya, Dundwa, Gursahaiganj

यह महाविद्यालय कन्नौज जिले में स्थित है और विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रम प्रदान करता है।

History of Kannauj: अत्यंत समृद्ध और गौरवशाली रहा है। यह प्राचीन भारत की सांस्कृतिक राजधानी रही है और आज भी अपनी ऐतिहासिक विरासत, इत्र निर्माण और व्यापारिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है।

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Raushan Singh
Raushan Singhhttp://thesamastipur.in
I am a passionate blogger from Samastipur, Bihar. Since childhood, I had a desire to do something for my village, society and country, which I am trying to fulfill through "The Samastipur" platform. Please give your blessings to help roar.
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