विषयसूची
History of Lakhimpur Kheri
प्रमुख पर्यटन स्थल (Famous Tourist Place)
प्रमुख उद्योग धंधे और कृषि ( Famous Industries and Agriculture )
1. प्रमुख उद्योग एवं व्यवसाय
2. कृषि और फसलों का उत्पादन
3. खानपान और पारंपरिक भोजन
4. विशेषताएँ एवं पर्यटक स्थल
लखीमपुर खीरी में जनसंख्या वृद्धि और उसके प्रभाव
विशेष:
History of Lakhimpur Kheri
History of Lakhimpur Kheri: लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है, जो अपनी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। इसका नाम पहले “लक्ष्मीपुर” था, जो समय के साथ “लखीमपुर” में परिवर्तित हो गया। “खीरी” नाम की उत्पत्ति के बारे में माना जाता है कि यह खैर के वृक्षों से संबंधित है, जो कभी इस क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पाए जाते थे।
ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र का संबंध महाभारत काल से जोड़ा जाता है, और कई स्थलों का उल्लेख उस युग की घटनाओं से संबंधित है। 10वीं सदी में राजपूतों ने यहां बसावट की, और 14वीं सदी में नेपाल से होने वाले आक्रमणों को रोकने के लिए उत्तरी सीमा पर कई किलों का निर्माण किया गया। मुगल काल में, यह क्षेत्र अकबर के शासन के दौरान अवध प्रांत का हिस्सा था। ब्रिटिश शासन के दौरान, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मोहम्मदी क्षेत्र सक्रिय केंद्रों में से एक था।
लखीमपुर खीरी में कई महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल हैं। गोला गोकरननाथ, जिसे “छोटी काशी” के नाम से जाना जाता है, भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। ओइल गांव में स्थित मेंढक मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है; यह मंदिर एक विशाल मेंढक की आकृति पर निर्मित है और भगवान शिव को समर्पित है। इसके अलावा, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, जहां बाघ, गैंडा, हाथी और कई दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
आधुनिक काल में, लखीमपुर खीरी को “चीनी का कटोरा” कहा जाता है, क्योंकि यहां गन्ने की खेती और चीनी मिलें प्रमुखता से स्थापित हैं।
प्रमुख पर्यटन स्थल (Famous Tourist Place)
History of Lakhimpur Kheri: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में कई प्रमुख पर्यटन स्थल और मंदिर हैं जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। नीचे कुछ महत्वपूर्ण स्थानों का विवरण दिया गया है:
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान
यह उद्यान 811 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और 1985 में स्थापित किया गया था। यहां बाघ, गैंडा, हाथी, बारहसिंगा, चीतल, सांभर, नीलगाय सहित अनेक वन्यजीवों का निवास है। यह पक्षी प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है, जहां विभिन्न प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं।
गोला गोकरननाथ मंदिर
यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर ‘छोटी काशी’ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि रावण ने भगवान शिव से लंका चलने का आग्रह किया था, लेकिन एक शर्त के कारण शिवलिंग यहां स्थापित हो गया। शिवलिंग पर रावण के अंगूठे का निशान आज भी देखा जा सकता है। सावन और शिवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
मेंढक मंदिर (नर्मदेश्वर महादेव मंदिर)

ओयल कस्बे में स्थित यह अनोखा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी संरचना एक विशाल मेंढक के आकार में है। इसका निर्माण 1860 से 1870 के बीच ओयल राज्य के राजा ने करवाया था। मंदिर की वास्तुकला तंत्र विद्या पर आधारित है, जो इसे विशेष बनाती है।
लिलौटी नाथ मंदिर

शारदा नगर मार्ग पर स्थित इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थापना महाभारत काल में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने की थी। कहा जाता है कि यह शिवलिंग दिन में कई बार रंग बदलता है। जुलाई माह में यहां मेले का आयोजन होता है।
देवकाली शिव मंदिर
लखीमपुर से 7 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर का नाम भगवान ब्रह्मा की पुत्री देवकाली के नाम पर रखा गया है। मान्यता है कि राजा परीक्षित ने यहां नाग यज्ञ का आयोजन किया था, जिसके बाद से इस क्षेत्र में सांप नहीं पाए जाते।
सिंगाही राजमहल
19वीं शताब्दी में निर्मित यह राजमहल ब्रिटेन के बर्मिंघम पैलेस से मिलता-जुलता है। महल के सामने एक सुंदर उद्यान है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे हैं।
इन स्थलों के अलावा, लखीमपुर खीरी में और भी कई दर्शनीय स्थल और मंदिर हैं जो अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाने जाते हैं।
प्रमुख उद्योग धंधे और कृषि (Famous Industries and Agriculture)
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, चीनी उद्योग और वन संपदा पर आधारित है। यहाँ प्रमुख उद्योग, कृषि, और खानपान से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु दिए गए हैं-
प्रमुख उद्योग एवं व्यवसाय
चीनी उद्योग
- लखीमपुर खीरी को “उत्तर भारत का चीनी कटोरा” कहा जाता है।
- यहाँ बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड और बालरामपुर चीनी मिल्स जैसी कई बड़ी चीनी मिलें हैं।
- पलिया कलां, गोला गोकर्णनाथ, खीरी, मितौली और अन्य क्षेत्रों में प्रमुख चीनी मिलें स्थित हैं।
वन एवं लकड़ी उद्योग
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान और घने जंगलों के कारण यहाँ लकड़ी, गोंद और जड़ी-बूटियों का व्यापार होता है।
- फर्नीचर, प्लाईवुड, और कागज उद्योग से जुड़ी कुछ इकाइयाँ भी हैं।
दुग्ध एवं डेयरी उद्योग
- यहाँ अमूल और पराग डेयरी के उत्पादों की अच्छी मांग है।
- कई स्थानीय डेयरी भी दूध, दही, और घी का उत्पादन करती हैं।
कृषि और फसलों का उत्पादन
- गन्ना (सबसे प्रमुख फसल) – यहाँ की चीनी मिलों के लिए मुख्य कच्चा माल।
- धान और गेहूं – बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है।
- सरसों, मक्का, दालें और तिलहन भी उगाए जाते हैं।
- बागवानी में आम, केला, अमरूद, और पपीता की अच्छी पैदावार होती है।
खानपान और पारंपरिक भोजन
- गुड़ और चीनी से बने व्यंजन: यहाँ गुड़, रेवड़ी, गजक, और मिठाइयाँ बहुत प्रसिद्ध हैं।
- चाट और स्ट्रीट फूड: गोलगप्पे, टिक्की, समोसा, और छोले-भटूरे स्थानीय लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं।
- शुद्ध देशी घी की मिठाइयाँ: लड्डू, जलेबी, और खीर बहुत लोकप्रिय हैं।
- पारंपरिक उत्तर भारतीय भोजन: रोटी, सब्जी, दाल, चावल, और अचार प्रमुख भोजन हैं।
विशेषताएँ एवं पर्यटक स्थल
- दुधवा राष्ट्रीय उद्यान – बाघों, गैंडे और हाथियों के लिए प्रसिद्ध है ।
- गोलागोकर्णनाथ मंदिर – प्रसिद्ध शिव मंदिर और धार्मिक स्थल है ।
- बिजनौर का कटरा घाट – ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का स्थान है ।
लखीमपुर खीरी की अर्थव्यवस्था और जीवनशैली मुख्य रूप से कृषि, चीनी उद्योग और वन संसाधनों पर निर्भर है। यहाँ का खानपान उत्तर भारतीय स्वाद और मिठाइयों से समृद्ध है।
लखीमपुर खीरी में जनसंख्या वृद्धि और उसके प्रभाव
History of Lakhimpur Kheri: लखीमपुर खीरी जिला, उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है, जिसका क्षेत्रफल 7,680 वर्ग किलोमीटर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले की कुल जनसंख्या 40,21,243 थी, जिसमें पुरुषों की संख्या 21,23,187 और महिलाओं की संख्या 18,98,056 थी। जनसंख्या घनत्व 524 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था, और लिंगानुपात 894 महिलाएं प्रति 1,000 पुरुष था। साक्षरता दर 60.56% थी, जिसमें पुरुष साक्षरता 69.57% और महिला साक्षरता 50.42% थी।
NOTE:- वर्तमान में, 2023 के अनुमान, जिले की जनसंख्या 45 लाख से अधिक हो चुकी है।
प्रशासनिक दृष्टि से, लखीमपुर खीरी में 7 तहसीलें (लखीमपुर, मोहम्मदी, गोला, निघासन, धौरहरा, पलिया, मितौली) और 15 विकासखंड (ब्लॉक) हैं, जिनमें लखीमपुर, बेहजम, मितौली, पसगवा, गोला, बांकेगंज, बिजुआ, पलिया, ईसानगर, धौरहरा, नकहा, फूलबेहड़, रमियाबेहड़, निघासन, मोहम्मदी शामिल हैं। इन विकासखंडों के अंतर्गत ग्राम पंचायतें आती हैं, जो स्थानीय स्तर पर प्रशासन और विकास कार्यों का संचालन करती हैं।
विशेष:
History of Lakhimpur Kheri: लखीमपुर खीरी का इतिहास प्राचीन संस्कृति, धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध है, जो इसे उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों में स्थान प्रदान करता है।
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