History of Pilibhit
पीलीभीत, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक जिला है, जिसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह जिला रोहिलखंड क्षेत्र का हिस्सा रहा है और 1801 में अंग्रेजों को सौंपे जाने से पहले बरेली जिले का परगना था। 1833 में इसे बरेली से अलग किया गया, लेकिन 1841 में पुनः बरेली में शामिल कर लिया गया। 1871 में परगना जहानाबाद, पीलीभीत और पूरनपुर को मिलाकर पीलीभीत तहसील का गठन हुआ, जिसे 1879 में एक स्वतंत्र जिला बनाया गया।
पीलीभीत का नामकरण इसके पीले रंग की दीवारों के कारण हुआ माना जाता है, जो 18वीं सदी में इस क्षेत्र की विशेषता थीं। यहां का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा बताया जाता है, जहां पांडव काल में वेणु नामक राजा का शासन था, जो भगवान कृष्ण के भक्त और अर्जुन के मित्र थे।
मुगल काल में, महाराणा प्रताप के वंशजों ने यहां शरण ली थी, जिन्हें थार राजपूत कहा जाता था। इसके अलावा, नेपाल के एक राजा ने भी युद्ध के दौरान इस क्षेत्र में शरण ली थी।
पीलीभीत जिला प्राकृतिक संपदा से भरपूर है, जहां घने जंगलों में हिरण, बारासिंघा, भालू और बाघ जैसे वन्यजीव पाए जाते हैं। यहां का पीलीभीत टाइगर रिज़र्व वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
History of Pilibhit: पर्यटन और दार्शनिक स्थल
पिलीभीत जिले के प्रमुख दर्शनीय और पर्यटन स्थल इस प्रकार हैं–
- पिलीभीत टाइगर रिजर्व – यह एक प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य है, जहां बाघ, तेंदुआ, हिरण, और अन्य वन्य जीव देखे जा सकते हैं।
- गोमती नदी का उद्गम स्थल – गोमती नदी का उद्गम स्थल धार्मिक और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
- जामा मस्जिद – मुगल शैली में बनी यह मस्जिद ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखती है।
- गोपालजी मंदिर – भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र है।

- देवीपाटन मंदिर – यह मंदिर शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध है और यहां विशेष रूप से नवरात्रि में भारी भीड़ उमड़ती है।
- चुका बीच – पिलीभीत टाइगर रिजर्व के पास स्थित यह जलाशय प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।

- दुर्गा देवी मंदिर – यह मंदिर भक्तों के बीच विशेष आस्था का केंद्र है।
- माधोटांडा – यह ऐतिहासिक स्थल है, जहां पुराने किले और मंदिर देखे जा सकते हैं।
धार्मिक स्थलों में गौरी शंकर मंदिर प्रमुख है, जो लगभग 250 वर्ष पुराना है और देवहा तथा खकरा नदियों के तट पर स्थित है। यहां हर साल शिवरात्रि, रक्षाबंधन और श्रावण मास के प्रथम सोमवार को मेले का आयोजन होता है।
इस तरह पीलीभीत में प्राकृतिक सुंदरता ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक आस्था का समावेश देखने को मिलता है।
उद्योग धंधे और कृषि (Industries And Agriculture)
पीलीभीत जिला उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि और संबंधित उद्योगों पर आधारित है।
कृषि: पीलीभीत में प्रमुख फसलें गन्ना, गेहूं और धान हैं। जिले का अधिकांश क्षेत्र कृषि के अधीन है, जिसमें 2.19 लाख हेक्टेयर खरीफ, 1.90 लाख हेक्टेयर रबी और 0.19850 लाख हेक्टेयर जायद फसलों के लिए उपयोग किया जाता है। यहां की कृषि प्रणाली में पांच प्रमुख खेती प्रणालियाँ प्रचलित हैं।
उद्योग: कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योग जिले में प्रमुख हैं। यहां चार चीनी मिलें (मझोला, पूरनपुर, बीसलपुर और पीलीभीत) स्थापित हैं, जो गन्ने की प्रचुरता के कारण संचालित होती हैं। इसके अलावा, एक आटा मिल, एक स्टील संयंत्र और एक अल्कोहल डिस्टलरी भी जिले में कार्यरत हैं। लघु उद्योगों में चावल मिल, अभियांत्रिकी इकाइयाँ, ईंट भट्ठे और मोमबत्ती निर्माण शामिल हैं। पीलीभीत विशेष रूप से बांसुरी निर्माण के लिए प्रसिद्ध है, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात है।
निर्यात: पीलीभीत की सब्जियों को दुबई निर्यात किया जाता है, जो जिले के कृषि उत्पादों की वैश्विक मांग को दर्शाती है।
कुल मिलाकर, पीलीभीत जिला कृषि और उससे संबंधित उद्योगों में निरंतर प्रगति कर रहा है, जिससे स्थानीय और वैश्विक स्तर पर इसकी पहचान बढ़ रही है।
History of Pilibhit: पीलीभीत की अन्य जानकारियां-
जनसंख्या और जनसंख्या घनत्व (2011 की जनगणना के अनुसार)
- कुल जनसंख्या: 20,31,007
- पुरुष: 10,72,002
- महिलाएं: 9,59,005
- जनसंख्या घनत्व: 551 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
- लिंगानुपात: 895 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष
साक्षरता दर:
- कुल साक्षरता दर: 61.47%
- पुरुष साक्षरता: 71.70%
- महिला साक्षरता: 50.00%
पंचायती राज व्यवस्था:
- ग्राम पंचायतों की संख्या: 721
- गांवों की कुल संख्या: 1440
- विकास खंड (ब्लॉक): 7
- अमरिया
- बरखेड़ा
- बिलसंडा
- बीसलपुर
- ललौरीखेड़ा
- मरौरी
- पूरनपुर इत्यादि हैं |
इस तरह,पीलीभीत का इतिहास समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जो इसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है और यह उत्तर प्रदेश का बिहार शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जिला है।
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