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समस्तीपुर, बिहार का इतिहास
History of Samastipur: समस्तीपुर बिहार राज्य के उत्तर-मध्य भाग में स्थित एक ऐतिहासिक जिला है। यह क्षेत्र अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक घटनाओं और कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है। समस्तीपुर का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक कई महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है। समस्तीपुर का प्राचीन नाम सैरसा बताया जाता है वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इसका प्राचीन नाम सोमवती था उसके बाद बस्तीपुर था और वस्तीपुर से अब उसका नाम समस्तीपुर पड़ा। लेकिन जो प्राचीन मान्यता है उसके हिसाब से सन 1345 से 1358 ई के बीच में शासन करने वाले बिहार और बंगाल के शासक हाजी शमसुद्दीन इलियास के नाम पर पड़ा और इतिहासकारो का कहना है कि समस्तीपुर का प्राचीनतम नाम शमशुद्दीन पुर था लेकिन अब वर्तमान में यह बिहार का छोटा सा जिला है।

History of Samastipur: प्राचीन इतिहास
समस्तीपुर का क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से मिथिला का हिस्सा रहा है, जो प्राचीन भारत में विद्या और संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र था। यह क्षेत्र वैदिक काल में भी महत्वपूर्ण था और इसे विद्वानों, ऋषियों और मनीषियों की भूमि माना जाता था.
- वैदिक काल: समस्तीपुर का उल्लेख प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यह क्षेत्र मिथिला संस्कृति का केंद्र था और विद्वान जनक (भगवान राम की ससुराल मिथिला) के राज्य के अंतर्गत आता था।
- बौद्ध और जैन प्रभाव: गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी दोनों का इस क्षेत्र से संबंध रहा है। समस्तीपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में बौद्ध मठों और जैन तीर्थों के अवशेष मिले हैं।
मध्यकालीन इतिहास
- मुगल शासन: मुगल काल में यह क्षेत्र बंगाल सूबे के अधीन था। अकबर और उसके उत्तराधिकारियों ने इस क्षेत्र पर शासन किया, लेकिन स्थानीय जमींदारों और राजाओं की भी भूमिका बनी रही।
- अफगान और मराठा प्रभाव: 17वीं और 18वीं शताब्दी में अफगान और मराठों का इस क्षेत्र में प्रभाव रहा। मराठों ने कई बार बंगाल और बिहार में प्रवेश किया, जिससे यहां की प्रशासनिक स्थिति प्रभावित हुई।
History of Samastipur: ब्रिटिश काल (1765-1947)
- ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन: 1765 में बक्सर की लड़ाई के बाद, बिहार पर अंग्रेजों का नियंत्रण हो गया और समस्तीपुर भी उनके प्रशासन का हिस्सा बन गया।
- 1857 का विद्रोह: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, समस्तीपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में भी क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया।
- राष्ट्रीय आंदोलन: 20वीं सदी में महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण और अन्य नेताओं के नेतृत्व में समस्तीपुर ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया।

आधुनिक इतिहास (1947 के बाद)
History of Samastipur: स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, समस्तीपुर को 1972 में दरभंगा जिले से अलग कर एक स्वतंत्र जिला बनाया गया। इसके बाद यह जिला कृषि, शिक्षा और उद्योग के क्षेत्र में तेजी से विकसित हुआ।
- कृषि: समस्तीपुर बिहार का एक महत्वपूर्ण कृषि जिला है, जहां गन्ना, धान, गेहूं और दलहन जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
- शिक्षा और विज्ञान: यहां का राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (अब डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय) भारत के प्रमुख कृषि विश्वविद्यालयों में से एक है।
- रेलवे हब: समस्तीपुर एक प्रमुख रेलवे जंक्शन है और बिहार के प्रमुख परिवहन केंद्रों में गिना जाता है।
संस्कृति और विरासत
समस्तीपुर मिथिला संस्कृति का हिस्सा होने के कारण अपने पारंपरिक लोक गीतों, नृत्य और पेंटिंग (मधुबनी चित्रकला) के लिए प्रसिद्ध है। छठ पूजा, दुर्गा पूजा और सरसवती पूजा, अन्य पारंपरिक त्यौहार यहां बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।
समस्तीपुर का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक अनेक उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। यह क्षेत्र न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। इसकी कृषि, शिक्षा और सांस्कृतिक धरोहर इसे एक विशिष्ट पहचान दिलाती है।
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