Sunday, June 15, 2025
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History of Sambhal: एक नजर उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक जिले पर…

History of Sambhal

History of Sambhal उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक जिला है, जिसका उल्लेख विभिन्न युगों में विभिन्न नामों से मिलता है। सतयुग में इसे ‘सत्यव्रत’, त्रेता युग में ‘महदगिरि’, द्वापर युग में ‘पिंगल’ और कलियुग में ‘संभल’ कहा गया। इसका प्राचीन नाम भीम नगर था जिसे बाद में संभाल के नाम से जाना गया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलियुग में भगवान विष्णु का अंतिम अवतार, कल्कि अवतार, संभल नामक ग्राम में होगा। कुछ विद्वानों के अनुसार, वर्तमान संभल को ही वही स्थान माना जाता है।

मध्यकाल में, संभल का सामरिक महत्व बढ़ गया था, क्योंकि यह आगरा और दिल्ली के निकट स्थित था। यह शहर मुस्लिम शासन के दौरान भी महत्वपूर्ण रहा और 15वीं सदी के अंत और 16वीं सदी की शुरुआत में सिकंदर लोदी की प्रांतीय राजधानियों में से एक था। बताया जाता है कि सिकंदर लोदी ने इसे अपनी राजधानी बताया था और अफ़गानों द्वारा सिकंदर लोदी इसी जगह पर मारा गया था। आधुनिक काल में 28 सितंबर 2011 को संभल को जिला बनाया गया और फिर 23 जुलाई 2012 को भी नगर का नाम बदलकर संभल रखा गया।

संभल में कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जैसे कि फिरोजपुर किला, जो 17वीं सदी में सोत नदी के किनारे सैय्यद फिरोज शाह द्वारा बनवाया गया था। यह किला अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व बना हुआ है।इसके अलावा, संभल अपनी हस्तशिल्प ज्वेलरी के लिए भी प्रसिद्ध है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखती है।

History of Sambhal (प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थल)

संभल, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक जिला, कई प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी दी गई है-

चक्की का पात
chakkee ka paat ambhal

यह संभल जिले के मुख्य बाजार में स्थित है और प्राचीन ऐतिहासिक विरासत को संभाले हुए हैं। कहा जाता है यहां आल्हा ऊदल और मलखान सिंह ने नट के भेष में चक्की कप टंगा था और तभी से यह जगह ऐतिहासिक विरासत के रूप में प्रसिद्ध हो गई है।

कल्कि विष्णु मंदिर

यह मंदिर संभल में बहुत प्रसिद्ध है और विष्णु भगवान के 10 वें अवतार कल्कि से संबंधित है और धार्मिक ग्रंथ के मान्यता के अनुसार कल्कि अवतार इसी संभल में होगा जिससे इस स्थल का धार्मिक मान्यता और बढ़ जाता है।

मनोकामना मंदिर

यह मंदिर बाबा राम मणि के समाधि स्थल के रूप में प्रसिद्ध है और ऐसी मान्यता है कि यहां पर कई लोगों की बीमारियां ठीक होती हैं तभी से यह प्रमुख धार्मिक और आस्था का प्रतीक बन गया है यहां एक प्रसिद्ध तालाब और मंदिर भी है।

जामा मस्जिद

यह मस्जिद बाबर के समय 1528 सीसी में बने मस्जिदों में से एक है और मुगल वास्तुकला को दर्शाता है।

घंटाघर

संभल का घंटाघर भी बहुत प्रसिद्ध है।

उद्योग धंधे और कृषि

संभल जिला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल में स्थित है, इसके प्रमुख उद्योग धंधे और अर्थव्यवस्था निम्नलिखित है

उद्योग धंधे

संभल अपने हस्तशिल्प उद्योग, विशेषकर हॉर्न-बोन (सींग-हड्डी) शिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यहां के कारीगर मृत पशुओं के सींग और हड्डियों से सजावटी सामान बनाते हैं, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में लोकप्रिय हैं। यह उद्योग लगभग 150 वर्षों से संचालित है और लगभग 1 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।

प्रदेश सरकार गंगा एक्सप्रेस-वे के किनारे औद्योगिक गलियारा विकसित करने की योजना बना रही है, जिससे संभल में नए उद्योग स्थापित होंगे और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसके लिए खिरनी मोहिउद्दीनपुर, बसला, रायपुर और अझरा गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है।

कृषि

संभल जिले में प्रमुख फसलें धान, गेहूं, सरसों, गन्ना, मेंथा, मसूर और आलू हैं। विशेष रूप से आलू की खेती बड़े पैमाने पर होती है, लेकिन जिले में आलू मंडी और फूड प्रोसेसिंग प्लांट की कमी के कारण किसानों को उचित मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई होती है। कृषि विज्ञान केंद्र, संभल, किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और फसल प्रबंधन में सहायता प्रदान करता है। हाल ही में, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके।

संभल में उद्योग और कृषि दोनों क्षेत्रों में विकास की संभावनाएं हैं, जो जिले की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। संभल का इतिहास समृद्ध और विविधतापूर्ण है, जो इसे उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों में से एक बनाता है।

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Raushan Singh
Raushan Singhhttp://thesamastipur.in
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