Sunday, June 15, 2025
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History of Sant Kabir Das Nagar: जानिए इसकी सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक घटनाएं…

History of Sant Kabir Das Nagar

संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला, 5 सितंबर 1997 को स्थापित किया गया था। इसका नामकरण महान संत और समाज सुधारक संत कबीर दास के नाम पर किया गया, जिन्होंने अपनी अंतिम समय मगहर में बिताया था। जिले का गठन बस्ती जिले की खलीलाबाद तहसील के 131 गांवों और सिद्धार्थ नगर जिले की बांसी तहसील के सांथा विकास खंड के 161 गांवों को मिलाकर किया गया। जिला मुख्यालय खलीलाबाद में स्थित है, जो पहले बस्ती जिले का तहसील मुख्यालय था।

प्रशासनिक दृष्टिकोण से, संत कबीर नगर जिले को तीन तहसीलों में विभाजित किया गया है: खलीलाबाद, मेहदावल और धनघटा। विकास योजनाओं के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिले को नौ विकास खंडों में बांटा गया है: सांथा, मेहदावल, बघौली, सेमरियावां, खलीलाबाद, नाथ नगर, हैसर बाजार, बेलहर कला और पौली।

जिले का कुल क्षेत्रफल 1,646 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 1,620 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण और 26 वर्ग किलोमीटर शहरी क्षेत्र शामिल हैं। यहां 794 ग्राम पंचायतों में 1,582 आबाद गांव और 144 निर्जन गांव हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले की कुल जनसंख्या 17,06,706 थी, जिसमें 8,65,195 पुरुष और 8,41,511 महिलाएं शामिल थीं।

संत कबीर नगर जिले का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी उल्लेखनीय है। मगहर में स्थित संत कबीर दास की समाधि और मजार हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक हैं, जहां हर वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर एक वार्षिक मेले का आयोजन होता है। इसके अलावा, बखिरा अभयारण्य और बखिरा मोती झील प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण स्थल हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

इतिहास में, खलीलाबाद का नाम इसके संस्थापक काजी खलील-उर-रहमान के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने 1860 के आसपास गोरखपुर के चक्लादार के रूप में सेवा की थी। उन्होंने इस क्षेत्र में विद्रोहों को दबाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

दर्शनीय स्थल और पर्यटन स्थल

संत कबीर दास समाधि स्थल, मगहर

महान संत और कवि कबीर दास जी की समाधि मगहर में स्थित है। यह स्थल उनकी शिक्षाओं और जीवन दर्शन को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।

समय माता मंदिर, खलीलाबाद

खलीलाबाद में स्थित यह मंदिर स्थानीय भक्तों के बीच विशेष मान्यता रखता है।

बाबा तामेश्वर नाथ मंदिर, खलीलाबाद

Baba Tameshwar Nath Temple, Khalilabad

यह प्राचीन शिव मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र है।

जयगुरुदेव मंदिर, भटौली

Jai Gurudev Temple, Bhatauli

भटौली गाँव में स्थित यह मंदिर अपनी वास्तुकला और आध्यात्मिक वातावरण के लिए जाना जाता है।

प्राचीन मंदिर, रगड़ गंज, धौरहरा

Ancient Temple, Ragar Ganj, Dhaurahra

यह मंदिर अपनी ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

राम देव मंदिर, सुरदहिया

Ram Dev Temple, Surdahiya

सुरदहिया गाँव में स्थित यह मंदिर स्थानीय धार्मिक गतिविधियों का केंद्र है।

इन स्थलों के अलावा, संत कबीर नगर में कई अन्य दर्शनीय स्थल हैं जो जिले की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को प्रदर्शित करते हैं।

History of Sant Kabir Das Nagar (उद्योग धंधे कृषि और खानपान)

संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है, जो अपने सांस्कृतिक, औद्योगिक और कृषि विशेषताओं के लिए जाना जाता है।

उद्योग धंधे

  • पीतल के बर्तन: यहां के कारीगर विभिन्न प्रकार के पीतल के उत्पाद जैसे कटोरे, प्लेट, गिलास, बर्तन, जग, फूलदान और घंटियाँ बनाते हैं। ये उत्पाद राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रसिद्ध हैं।
  • होज़री उत्पाद: खलीलाबाद शहर उत्कृष्ट होज़री उत्पादों के लिए जाना जाता है। यहां के बने वस्त्र, जैसे बच्चों के सूट, टी-शर्ट आदि, सस्ते, टिकाऊ और आकर्षक होते हैं। यह उद्योग जिले की बड़ी आबादी को रोजगार प्रदान करता है।
  • बखीरा का पीतल उद्योग: बखीरा क्षेत्र पीतल के बर्तनों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। यहां का साप्ताहिक बाजार, विशेष रूप से पीतल और कांसे के काम के लिए जाना जाता है, जहां मिर्जापुर, वाराणसी और मुरादाबाद जैसे स्थानों से थोक विक्रेता खरीदारी के लिए आते हैं।

कृषि

जिले में परंपरागत फसलों के साथ-साथ औद्योगिक फसलों की खेती पर भी जोर दिया जा रहा है। सरकार द्वारा किसानों को औद्यानिक फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके।

खान-पान

संत कबीर नगर का खान-पान उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रतिबिंबित करता है। यहां के लोग पारंपरिक उत्तर भारतीय व्यंजनों का आनंद लेते हैं, जिनमें दाल, रोटी, सब्जी, चावल, और विभिन्न प्रकार के मिठाइयाँ शामिल हैं। स्थानीय बाजारों में मिलने वाले ताजे फल और सब्जियाँ भी यहां के खान-पान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

संत कबीर नगर अपनी सांस्कृतिक धरोहर, उद्योगों और कृषि गतिविधियों के माध्यम से उत्तर प्रदेश में एक विशेष स्थान रखता है। इस प्रकार, संत कबीर नगर जिला न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यावरणीय महत्व भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

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Raushan Singh
Raushan Singhhttp://thesamastipur.in
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