विषयसूची
वैशाली का ऐतिहासिक महत्व
पुरातात्विक स्थल एवं धरोहर
वैशाली के प्रमुख विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान
वैशाली जिले की जनसंख्या एवं बोली जाने वाली भाषा
विशेष:
वैशाली बिहार का बिहार समृद्ध और महत्वपूर्ण जिला है। बताया जाता है कि महाभारत काल के राजा विशाल ने वैशाली ज़िलें का निर्माण किया था। वैशाली जिला, जो बिहार राज्य में स्थित है, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह भारत का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों, बौद्ध एवं जैन साहित्य में मिलता है। आधुनिक युग में वैशाली तिरहुत प्रमंडल का हिस्सा था जो मुजफ्फरपुर से अलग होकर अलग राज्य बना। वैशाली मुजफ्फरपुर से अलग होकर 12 अक्टूबर 1972 को जिला बना। इस जिले का मुख्यालय हाजीपुर है।
History of Vaishali: ऐतिहासिक महत्व
- लिच्छवी गणराज्य – वैशाली दुनिया के सबसे पहले गणराज्यों में से एक था। यह लिच्छवी गणराज्य की राजधानी थी, जिसे दुनिया के पहले लोकतांत्रिक शासन प्रणालियों में से एक माना जाता है।
- भगवान महावीर का जन्मस्थल – जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म वैशाली में हुआ था, जिससे यह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान है। भगवान महावीर के जन्म के कारण ही वैशाली दुनिया में प्रसिद्ध है।
- भगवान बुद्ध का संबंध – गौतम बुद्ध ने अपने जीवन में कई बार वैशाली का दौरा किया था। यहीं उन्होंने अपना अंतिम उपदेश दिया था। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। वैशाली में कई बौद्ध स्तूप है जिसके बारे में बताया जाता है कि बुद्ध की राख इन्हीं स्तूपों में रखी हुई है।
- अशोक स्तंभ – सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु वैशाली में एक स्तंभ का निर्माण कराया था, जो आज भी एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में मौजूद है।
- अम्रपाली का नगर – वैशाली प्रसिद्ध गणिका अम्रपाली का नगर भी था, जो बाद में गौतम बुद्ध की अनुयायी बनीं।

History of Vaishali: पुरातात्विक स्थल एवं धरोहर

- अशोक स्तंभ – सम्राट अशोक द्वारा स्थापित यह स्तंभ आज भी वैशाली के ऐतिहासिक गौरव का प्रतीक है। यह वैशाली के केलुआ में स्थित है और लाल बलवा पत्थर से बना हुआ है। वहीं इसकी ऊंचाई लगभग 18.3 मीटर है और इसके शीर्ष पर सिंह बना हुआ है जो बेहद आश्चर्यजनक है और देखने की चीज है। पर्यटक दूर से इस सिंह स्तंभ को देखने के लिए आते हैं।
- कोल्हुआ स्तूप – यह वही स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश दिए थे। जो भी बहुत यात्री यहां आते हैं और खासकर विदेशी से तो यहां पर जरूर आते हैं। यहां अनपढ़ एक असीम शांति का वातावरण देखने को मिलता है।
- अनंद स्तूप – बौद्ध अनुयायियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थल है।
- विश्व शांति स्तूप – जापानी बौद्ध संघ द्वारा निर्मित यह स्तूप वैशाली की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। यह स्तूप जापान के टिप्पण जी बौद्ध समुदाय द्वारा निर्मित है और यहां गोल गुंबद और स्वर्ण रंग के पुत्र प्रतिमा स्थापित है।
- नेपाली छावनी मंदिर – यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और नेपाली शैली और वास्तुकला को दर्शाती है साथ ही पशुपतिनाथ मंदिर से भी मिलती-जुलती है। यह हाजीपुर के कौन हारा घाट में स्थित सबसे पुराना शिव मंदिर है।
- चौमुखी महादेव मंदिर – यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां भगवान शिव के चार मुखो वाला शिवलिंग है। बताया जाता है यह मंदिर इसलिए प्रसिद्ध है कि यहां भगवान राम लक्ष्मण और विश्वामित्र ने शिव की पूजा की थी। इसलिए आज के दौर मैया श्रद्धालुओं का बहुत बड़ा धार्मिक स्थल बन गया है।
- कुंड ग्राम या कुंडलपुर – यह जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर या महावीर का जन्म स्थान है। यहां सफेद संगमरमर से निर्मित बगीचों के बीच में महावीर का सुंदर प्रतिमा स्थापित है जिसे देखने के लिए जैन धर्म के लोग यहां आते हैं और साथ में अन्य सभी धर्म के लोग भी यहां आते हैं। इसको देखने के लिए सालों पर यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।
वैशाली के प्रमुख विश्वविद्यालय और शिक्षण संस्थान
वैशाली, बिहार में कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थान स्थित हैं। यहाँ कुछ मुख्य महाविद्यालयों की जानकारी दी गई है।
- गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, वैशाली: यह तकनीकी संस्थान 2018 में बिहार सरकार द्वारा स्थापित किया गया था। यह अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) से मान्यता प्राप्त है और बिहार इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय से संबद्ध है। संस्थान सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (B.Tech) कार्यक्रम प्रदान करता है।
- राज नारायण कॉलेज, हाजीपुर : यह कॉलेज 1 अगस्त 1952 को स्थापित किया गया था और यह बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर का एक प्रमुख घटक इकाई है। यह वैशाली जिले का सबसे पुराना उच्च शिक्षा संस्थान है और विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
- पटना साहिब कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, वैशाली : 2011 में स्थापित यह निजी संस्थान आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी, पटना से संबद्ध है। कॉलेज विभिन्न इंजीनियरिंग शाखाओं में पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
- वैशाली जिले में कई प्रमुख महाविद्यालय और संस्थान स्थित हैं, जो उच्च शिक्षा प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख संस्थान हैं।
- वैशाली महिला महाविद्यालय, हाजीपुर: यह महाविद्यालय विशेष रूप से महिला शिक्षा के लिए समर्पित है और हाजीपुर में स्थित है।
- देव चंद (डी.सी.) कॉलेज, हाजीपुर: यह महाविद्यालय हाजीपुर के दिघायकलन क्षेत्र में स्थित है और उच्च शिक्षा प्रदान करता है।
- जमुनी लाल कॉलेज: यह कॉलेज हाथीगंज, हाजीपुर में स्थित है और स्थानीय छात्रों के लिए उच्च शिक्षा का केंद्र है।
- सरकारी पॉलिटेक्निक, वैशाली: यह संस्थान तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है।

इन संस्थानों के अतिरिक्क्त, महावीर मंदिर ट्रस्ट ने वैशाली जिले के इस्लामपुर में ‘रामायण विश्वविद्यालय‘ स्थापित करने की पहल की है, जिसके लिए 12 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है। यह विश्वविद्यालय वाल्मीकि रामायण और अन्य रामायणों पर केंद्रित अध्ययन और शोध के लिए समर्पित होगा।
वैशाली जिले की जनसंख्या एवं बोली जाने वाली भाषा
जनसंख्या और लिंगानुपात
2011 की जनगणना के अनुसार, वैशाली जिले की कुल जनसंख्या 34,95,021 थी। इसमें प्रति 1000 पुरुषों पर 892 महिलाएँ थीं, जो लिंगानुपात को दर्शाता है।
साक्षरता दर
जिले की कुल साक्षरता दर 66.60% थी, जिसमें पुरुष साक्षरता 77% और महिला साक्षरता 59.1% थी।
प्रमुख उद्योग
वैशाली जिले में कृषि आधारित उद्योग प्रमुख हैं। यहां मखाना उद्योग है । विश्व के कुल मखाना उत्पादन का लगभग 85% हिस्सा बिहार से आता है, जिसमें वैशाली का भी योगदान है।
खानपान
वैशाली और बिहार का पारंपरिक भोजन विविध और स्वादिष्ट है। यहाँ के प्रमुख व्यंजनों में लिट्टी-चोखा, चंपारण मीट, दही-चूड़ा, दही-वड़ा, और खिचड़ी शामिल हैं।
भाषा
वैशाली में हिंदी, भोजपुरी और मैथिली भाषा बोली जाती है।
विशेष:
History of Vaishali: वैशाली न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ऐतिहासिक धरोहर है। यह स्थान प्राचीन भारतीय गणतंत्र, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और मौर्यकालीन इतिहास की झलक प्रदान करता है। इसकी समृद्ध विरासत और पुरातात्विक महत्व के कारण यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है। वैशाली का इतिहास न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है क्योंकि बौद्ध धर्म के मानने वाले भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी बसते हैं।
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